मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को पीएमएलए अदालत ने बुधवार को तीन मार्च तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया।
राकांपा नेता को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लांड्रिंग और एक भूमि सौदे के संबंध में गिरफ्तार किया था।
उन्हें भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच आज दोपहर विशेष अदालत में पेश किया गया।ईडी ने 35 पेज की रिमांड अर्जी में आरोपी की 14 दिन की हिरासत मांगी थी।
ईडी की ओर से पेश सहायक सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा,’जांच के दौरान यह खुलासा हुआ है कि डी-गैंग के एक सदस्य ने मलिक के परिवार और उसके नियंत्रण वाली कंपनी से करीब 200 करोड़ रुपये की संपत्ति खरीदी थी।’
उन्होंने कहा कि दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर उनके लिए भारत में संपत्ति का अधिग्रहण कर रहीं थीं और मलिक ऐसी संपत्तियों पर किरायेदारों का परिचय करा रहे थे। बाद में इन संपत्तियों को बाजार से कम कीमत पर बेचा गया।
सिंह ने कहा,”नवाब मलिक का डी-कंपनी के सदस्यों के साथ संबंध गवाहों के बयानों और ईडी द्वारा तलाशी में तथा अधिकारियों से प्राप्त दस्तावेजों से स्पष्ट है।”
सिंह ने तर्क दिया,”हमने ठोस सबूत इकट्ठा किए हैं। इसकी जांच के लिए, ईडी को मलिक की 14 दिनों की हिरासत की आवश्यकता है। हमें 14 दिनों की हिरासत दी जा सकती है, ताकि हम जांच पूरी करने से पहले फिर से न आएं।”
सुनवाई के दौरान मलिक ने अदालत को कहा कि उन्हें जबरदस्ती ईडी दफ्तर लाया गया। मंत्री ने कहा कि अगर ईडी ने उन्हें समन जारी किया होता तो वे सहयोग करते।
मंत्री मलिक की बेटी सना खान और बहन सईदा खान कोर्ट रूम के अंदर मौजूद थीं। राकांपा नेता को अपने वकीलों से बात करने के लिए पांच मिनट का समय दिया गया था। मलिक की ओर से पेश हुए अमित देसाई ने कहा कि ईडी ने 35 पेज की रिमांड अर्जी दी है।
देशाई ने कहा,”वे इसे जटिल बना रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है जबकि मामला जटिल नहीं है।’
उन्होंने तर्क दिया,”उन्हें केवल लेन-देन और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध और अपराध की आय पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। सभी लेनदेन 1999 और 2003 में हुए हैं।जबकि पीएमएल अधिनियम 2005 में लागू हुआ।”