दिल्ली: केंद्र सरकार ने रविवार को स्पष्ट किया कि भाखड़ा ब्यास प्रबंध बोर्ड (बीबीएमबी) में दो पूर्णकालिक सदस्यों की नियुक्ति के नियमों में संशोधन केवल इसके लिए अभ्यर्थी की अहर्यताएं और अनुभव की व्यवस्था स्पष्ट करने के लिए किए गए हैं।
सरकार का कहना है कि नियमों में संशोधन तकनीकी है और इससे इस निकाय के वर्तमान स्वरूप और इसमें संबंधित राज्यों के अधिकार या जल में हिस्से पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
केंद्र का दावा किया है कि हाल में अधिसूचित ये नियम पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के एक आदेश के अनुपालन के तहत जारी किए गए है और इससे स्थायी सदस्यों के लिए उपयुक्त योग्यता के अभ्यर्थी चुनने में मदद मिलेगी।
सरकार के एक बयान में कहा गया है , “पहले न तो पंजाब पुनर्गठन अधिनियम,1966 और न ही बीबीएमबी नियमावली, 1974 में बीबीएमबी के पूर्णकालिक सदस्यों की नियुक्ति के लिए पात्रता की कसौटी या आवश्यकत अहर्यता/प्रासंगिक अनुभव को विनिर्दिष्ट किया गया था।”
बयान में कहा गया है कि संशोधित नियम में इसके लिए व्यवस्था विनिर्दिष्ट की गयी है और इससे सदस्यों की नियुक्ति करते मसय उनकी पात्रता सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी।
उपरोक्त दोनों अधिनियमों के तहत बोर्ड में एक पूर्वकालिक अध्यक्ष और दो पूर्णकालिक सदस्य ( सदस्य सिंचाई, सदस्य बिद्युत) की नियुक्ति केंद्र करता है। इसके अलवा बोर्ड में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के एक एक प्रतिनिधि होते हैं। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार को बोर्ड में अपने दो प्रतिनिधि रखने का अधिकार है।
सरकार ने कहा है कि हाल में अधिसूचित नए नियम केवल तकनीकी प्रकृति के हैं. जिनमें स्थायी सदस्यों की नियुक्ति के लिए अभ्यर्थी की अहर्यता और अनुभव तय किए गए है। यह निर्णय जगमोहन सिंह बनाम भारत की संघीय सरकार एवं अन्य के मामले में उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन के अंतर्गत किया गया है। बीबीएमबी के स्वरूप या संबंधित राज्यों के अधिकार क्षेत्र यथावत हैं।