वाह रे, वाह! ऊर्जा विभाग, तेरे खेल निराले!
प्रधानमंत्री मोदी की आँख में भी झोंक दी धूल!
…और अब नियामक आयोग के समक्ष घडि़याली आँसू!
सीएम धामी व सचिव ऊर्जा ने भी नहीं किया पहले परीक्षण!
भ्रष्टाचार और घोटाले करें ये, और खामियाजा भुगते उपभोक्ता व करदाता, क्यों?
जब चेयरमैन ने ही किया आर्टिकल आफ ऐसोशियेशन का उल्लंघन तो भंग होना चाहिए पिटकुल!
जिस नियम के तहत एमडी पिटकुल को दी गजब के शक्ति, वह नियम है ही नहीं।
परियोजनाओं में अनावश्यक बिलम्व से होती है दोहरी क्षति।
सैकडों करोड़ की पीएसडीएफ की शतप्रतिशत अनुदान वाली बैटरी चार्जर वाली योजना एमडी और कम्पनी सेक्रेटरी की कमीशन के सेटिंग होने से भेंट चढी़, रकम हुई लैप्स!
बढ़ती है लागत और नहीं मिलता समय पर मिलने वाला लाभ: दोहरा नुक्सान
पारदर्शिता तो है नहीं! आरटीआई में भी सूचना व जानकारी नहीं देते एमडी!
यूपीसीएल : करोंडों के फिक्सड् कैपीटेशन चार्जेज भुगतने के बावजूद भी नहीं चेत रहा ऊर्जा विभाग!
25 वर्षीय पीपीए निरस्त करने की बजाय फिर और साँठगाँठ के तहत अधिक महँगी दरों पर गैसबेस्ड बिजली खरीद कर, उपभोक्ता पर थोपने की फिराक में हैं एमडी
यूपीसीएल : भाड़ में जाये जनता, अपना काम बनता!
जबकि दिल्ली व पंजाब सहित अन्य सरकारों ने महँगे पीपीए कर दिए निरस्त, सबक फिर भी नहीं।
घाँधलेबाजी में 60 करोड़ के पाॅवर परचेज घोटाले में दोषियों पर कार्यवाही शून्य!
लगभग 30 करोड़ की एक वर्ष से लटकी बकाया रकम, फिर भी मैसर्स क्रियेट पावर पर मेहरबानी, क्यों?
धामी सरकार के संरक्षण में पिटकुल व यूजेवीएनएल ने दिसम्बर माह में प्रधानमन्त्री मोदी की आँख में झोंकी धूल, अधूरे व अपूर्ण परियोजनाओं का कराया शातिराना अंदाज में लोकार्पण!
एमडी ने स्वीकारा के बिजली चोरी हो रही है, साथ ही पूरे समाज को चोर भी बता डाला
देहरादून में 2 मार्च को विद्युत नियामक आयोग के समक्ष ऊर्जा निगमों पिटकुल व यूपीसीएल द्वारा (ARR) बिजली दरों में वृद्धि पर आपत्ति प्रकट करते हुये स्टेकहोल्डर व पत्रकार सुनील गुप्ता
नियमों में व्याप्त भृष्टाचार, घोटाले और कुप्रबंधन ही देन हैं वृद्धि का कारण!
एमडी पिटकुल व कम्पनी सचिव / जीएम लीगल बने कान्ट्रेक्टर के वफादार और गद्दारी निगम से, वाह! !
गल्तियाँ और करनी इनकी, भरे उपभोक्ता और करदाता क्यों?
जानबूझ के महँगी बिजली साजिश के तहत खरीद उपभोक्ता पर थोपते हैं बोझ, ये भ्रष्ट अधिकारी!
नियामक आयोग नहीं करता कोई ठोस कार्यवाही, फिर सुनवाई के उद्देश्य ही क्या?
जनसुनवाई के दूसरे चरण में कुछ और महत्वपूर्ण तथ्यों के साथ आपत्ती दर्ज कराते सुनील गुप्ता…
देहरादून। बिजली दरों में वृद्धि के प्रस्तावों पर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग द्वारा जनसुनवाई में भड़के उपभोक्ता और करदाता।
विगत 2 मार्च को हुई जनसुनवाई में पत्रकार सुनील गुप्ता ने दरों में बढो़त्तरी करने के बजाए, दरें घटाई जाने पर जोर देते हुये अपनी आपत्ति दर्ज कराई।
अन्य उपभोक्ताओं के समर्थन करते हुये कहा कि बिजली के बिलों पर लगने वाला फिक्सड् चार्जेज समाप्त किया जाये और खत्म हों यूनिट स्लैब प्रणाली।
देहरादून में 2मार्च को विद्युत नियामक आयोग के समक्ष ऊर्जा निगमों पिटकुल व यूपीसीएल द्वारा (ARR) बिजली दरों में वृद्धि पर आपत्ति प्रकट करते हुये स्टेकहोल्डर व पत्रकार सुनील गुप्ता।
नियामक आयोग नहीं करता कोई ठोस कार्यवाही, फिर सुनवाई के उद्देश्य ही क्या?
क्या इन परिस्थितियों में बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी होनी चाहिए? इनकी करनी और कारनामों के खामियाजा उपभोक्ताओं और करदाताओं को भुगतने देगा नियामक आयोग।
आगे अपने पाठकों और दर्शकों को हम सुनवायेंगे आगे एमडी यूपीसीएल और पिटकुल के मगरमच्छीय आँसुओं के दास्ताँ उन्हीं की जुबानी..
यूपीसीएल घड़ियाली आँसू व चिकनी चुपड़ी बातों से आयोग को प्रभावित करते एमडी और उन पर काउन्टर देते पत्रकार सुनील गुप्ता…
अब देखिए लिखित आपत्ति तथ्यों के साथ…
इसके अतिरिक्त … क्रमशः जारी…