कुशीनगर: उत्तर प्रदेश में कुशीनगर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के कुओं को संरक्षित करने की योजना बनाई गई है। जो कुएं जर्जर हालत में हैं, उन्हें ध्वस्त किया जाएगा और जो कुएं ठीक हालत में हैं, उन्हें संरक्षित किया जाएगा। इसके लिए डीपीआरओ ने ग्रामीण क्षेत्र के कुओं का सर्वे करने का निर्देश दिया है।
अधिकृत सूत्रों ने बुधवार को बताया कि पिछली 18 फरवरी को नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के नौरंगिया स्कूल टोला में हल्दी की रस्म के दौरान आयोजित मटकोड़ के समय कुएं में गिरने से दो बच्चियों समेत 13 महिलाओं की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद गांव से लेकर जिला अस्पताल तक रात भर डीएम और एसपी समेत कई अफसर और परिजन परेशान थे। कई दिनों तक गांव में मातम छाया रहा। उस घटना के बाद प्रशासन कुओं के संरक्षण के प्रति गंभीर हो गया है। उसके बाद प्रशासन ने कुओं के संरक्षण को लेकर गंभीरता दिखाई है।
डीपीआरओ ने जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित कुओं की वास्तविक स्थिति का सर्वे कर विभाग को उपलब्ध कराने के लिए ब्लॉक स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिया है।
सूत्रों ने बताया कि जिले में 1,003 ग्राम पंचायतें और 1,469 राजस्व गांव हैं। प्रत्येक गांव में तीन से चार की संख्या में कुएं हैं। करीब 30 वर्ष पहले तक इन कुओं का उपयोग गांव के लोग पानी पीने के अलावा सिंचाई और अन्य जरूरतों में करते थे, लेकिन भौतिक संसाधनों की उपलब्धता के चलते इन कुओं की उपयोगिता धीरे-धीरे समाप्त हो गई। अब इन कुओं की उपयोगिता महज धार्मिक कार्यक्रमों में होती है।
उपयोगिता समाप्त होने के बाद इनके रखरखाव के प्रति गांव के जिम्मेदार उदासीन हो गए। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों के कुएं दिन प्रतिदिन बदहाल होते चले गए। आलम यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कई कुएं ध्वस्त हो गए हैं। इनकी समय पर देख-रेख और मरम्मत नहीं होने से कई कुओं की हालत जर्जर हो गई है। कई गांवों में कुओं के आस-पास झाड़ियां उग गई हैं। नतीजतन कई बार पशुओं के अलावा बच्चे इन कुओं में गिरकर चोटिल हो चुके हैं।
कुएं जलस्रोत के प्रमुख केंद्र माने जाते हैं। करीब 30 वर्ष पहले इन कुओं का पानी पीने के अलावा फसलों की सिंचाई के रूप में लोग उपयोग करते थे। भौतिक संसाधन बढ़ने पर लोग घर में लगे नल की उपयोगिता बढ़ गई। शादी में इन कुओं के पास मटकोड़ समेत अन्य कई रस्मों का आयोजन होता है।
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद कुओं के सर्वे के लिए ब्लॉक स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है। सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद जिन कुओं में पानी मिलेगा, उन्हें संरक्षित किया जाएगा और जिन कुओं में जलस्रोत नहीं मिलेगा, उन्हें उच्चाधिकारियों से अनुमति लेकर ध्वस्त किया जाएगा।