पुडुचेरी: पुडुचेरी से पूर्व लोकसभा सांसद प्रोफेसर एम रामादास ने शनिवार को प्रशासन से अनुसूचित जाति योजना के सभी पहलुओं के कार्यान्वयन के लिए “ अनुसूचित जाति उपयोजना का कार्यान्वयन विभाग” (डीआईएससीपी) नामक विभाग की स्थापना करने की अपील की।
16 प्रतिशत का अनिवार्य खर्च निर्धारित नहीं किया
रामादास ने एक बयान में कहा कि यह योजना पुडुचेरी के दूसरे सबसे बड़े सामाजिक समूह (अनुसूचित जाति) के सामाजिक व आर्थिक सशक्तिकरण पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, “ बेशक, योजना ने बीते वर्षों में एससी समुदाय के सदस्यों को कुछ राहत दी है, लेकिन अगर इसे प्रभावशाली ढंग से संचालित किया जाता तो इसको और प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकता था।
उन्होंने कहा कि योजना कई कमियों से भरी हुई थी जो समुदाय के नेताओं और सदस्यों में वेदना का कारण था। एक लंबे समय तक 16 प्रतिशत का अनिवार्य खर्च निर्धारित नहीं किया गया था।
रामादास ने कहा, “ एससीपी फंड नोडल विभाग, अर्थात् आदि द्रविड़ कल्याण विभाग (एडीडब्ल्यूडी) को आवंटित किया गया था, जिसने इसे अन्य विभागों को प्रत्येक विभाग की सामान्य योजनाओं पर खर्च करने के लिए इस अनुमान पर वितरित किया कि वे अनुसूचित जाति को भी लाभान्वित करेंगे।”
सरकार द्वारा न तो उचित निगरानी की गई और न ही योजना के प्रभाव का मूल्यांकन। नतीजतन, कई वर्षों में आवंटित धन का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया गया था। बड़े पैमाने पर धन का फिराव और बर्बादी हो रही थी जिससे एससी के विकास पर न्यूनतम प्रभाव पड़ रहा था।
अनुसूचित जाति के सभी निवासियों को एक निर्धारित अवधि के भीतर प्रदान की जाए सभी बुनियादी सुविधाएं
उन्होंने यह भी मांग की कि अनुसूचित जाति के सभी निवासियों को एक निर्धारित अवधि के भीतर बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। एससीपी पर आंध्र सरकार की तर्ज पर नया कानून भी बन सकता है।