देहरादून। जनता और जनादेश की नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी की मनमानी ही चली। केन्द्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह और मीनाक्षी लेखी को उपस्थिति में हुई भाजपा बिधान मंडल की बैठक में औपचारिक घोषणा के साथ पुष्कर सिंह धामी के फिर वाहरवें सीएम के रूप कमान सौंपी गयी है। अब पुष्कर की नई कैबिनेट कैसी होगी, कौन होगा मंत्रीमंडल में शामिल यह भी समय ही बतायेगा! क्या कुछ नये चेहरे होंगे शामिल और नहीं होंगे कुछ पुराने चेहरे!
10 मार्च को विधान सभा परिणाम आने के बाद आज ग्याहरवें दिन तमाम कसरत और उठापटक के बाद फिर पुष्कर सिंह धामी को ही कमान सौंप दी गयी है।
जनता का मानना है कि भाजपा के द्वारा इस तरह से ही अगर धामी को ही सीएम बनाना था तो 11 मार्च को सीएम घोषित कर सकती थी।
भाजपा हाईकमान के इस फैसले को कुछ लोग उत्तराखंड के लिए फिर दुर्भाग्यपूर्ण बता रहे हैं साथ ही यह भी मान रहे कि ये धामी -2 सरकार भी पाँच साल तो क्या दो साल से अधिक नहीं चल पायेगी। यह चुनौती भी पुष्कर सिंह धामी के लिए भी बनी रह सकती है जैसी कि यहाँ की पद लोलुप विधायकों और मंत्रियों की परम्परा रही है जब देखो तब दिल्ली कूच होता देखा जाता रहा है।
क्या बाहरवें सीएम के रूप में पुष्कर धामी सरकार भ्रष्टाचार पर नियंत्रण कर पाने में सफल हो पायेगी या फिर पुष्कर-1 के तर्ज पर ही चलेगी सरकार और भ्रष्टाचारी व घोटालेबाज मलाई खायेंंगे?
वैसे तो यहाँ यह भी मिथक टूट ही गया कि सीएम किसी को रास नहीं आता परंतु वही आवास पुष्कर सिंह धामी को रास आ गया। राजनाथ सिंह का वह बाक्य कि अपना पुष्कर फायर भी और फ्लावर भी यहाँ कारगर दिखाई दिया।
देखते हैं बक्त की रफ्तार और धामी सरकार की रफ्तार परस्पर तालमेल बिठा पाती है या नहीं?