देवभूमि के जनता स्वाभिमानी है बिजली मुफ्त नहीं, सस्ती और भ्रष्टाचार मुक्त शासन का अपना अधिकार चाहती है!
देहरादून। आज उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने एक पत्रकार वार्ता में वित्तीय वर्ष 2022-23 अर्थात की एक अप्रैल से प्रभावी होने वाले नये टैरिफ प्लान का निर्णय सुना दिया।
काश! नियामक आयोग ने अपने पिछले वर्षो के जनसुनवाई में उठाये गये महत्वपूर्ण बिन्दुओं व अपने ही आदेशों का मूल्यांकन और समीक्षा की होती तो शायद बिजली की दरे बढ़ाने की अपेक्षा घटोत्तरी पर वाहवाही यथार्थ में पा रहा होता! किन्तु जनसुनवाई तो एक औपचारिकता बन गयी है तभी तो डिले आफॅ प्रोजेक्ट, काॅस्ट आफॅ प्रोजेक्टस कई कई गुणा न बढ़ती ? और मजे ये भ्रष्ट निगम के अधिकारी और खामियाजा स्टैक होल्डर न भुगत रहे होते!
जनसुनवाई के उपरांत नियामक आयोग की द्वि सदस्यी बेंच ने ऊर्जा नियमों के बृद्धि के ARR के पिटीशन पर यूपीसीएल के पक्ष में जिस नये टैरिफ प्लान की घोषणा की है उसमें आयोग
उसके अनुसार :-
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उत्तराखंड में धामी-1 सरकार एवं तत्कालीन बड़बोले ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने जहां चुनाव से पहले चुनाव के दौरान फ्री बिजली के दावें किए थे। वहीं चुनाव खत्म होते ही बिजली दरों में बढ़ोतरी कर दी गई है। हालाँकि आयोग इस बढोत्तरी के टैरिफ पर अपनी पीठ थपथपाते हुये अन्य राज्यों से तुलना करने लगा है।
मंहगाई की मार और रोजाना पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडर के कीमतों में बृद्धि के चलते, बिजली पर भी पड़ी है।
उत्तराखंड में भीषण गर्मी बढ़ने के साथ ही तेजी से बिजली की खपत भी बढ़ रही है जिसकी भूमिका चालाक और चतुर यूपीसीएल के एमडी विगत एक सप्ताह से बड़े ही नाटकीय ढंग से बाँध रहे हैं जबकि जिस 20 रुपये यूनिट की दर पर वे बिजली क्रय किये जाने की बात कर रहे हैं उसका अगर तुलनात्मक अध्ययन किया जाये तो महाशय की पोल स्वतः ही खुल जायेगी। परंतु इस चंद दिनों की मामूली क्राईसेस के आड़ में पूरे साल के लिए थोडा जाना कहाँ तक उचित होगा? काश! नियामक आयोग और धामी-2 सरकार त्रस्त जनता की पीड़ा के समझ पुनः विचार करे!
ज्ञात हो कि अब उत्तराखंड की जनता को बिजली के ज्यादा दाम देने पड़ेंगे। विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दरों का जो टैरिफ प्लान जारी 2022-23 के लिए जारी किया है। उसके अनुसार बिजली की दरों में 2.68 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। BPL श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए चार पैसा प्रति किलोवाट दाम बढ़े हैं। अर्थात घरेलू श्रेणी में 15 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी हुई। कमर्शियल श्रेणी में 16 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि हुई। उद्योग श्रेणी में 15 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की गई है। राज्य सरकार ने नए कनेक्शन की दरों में भी बढ़ोतरी की है। नए कनेक्शन लेने में 60 से 80 रुपये की बढ़ोतरी हुई।
यह भी ज्ञात हो कि समस्त बिजली कंपनियों द्वारा प्रस्तावित संकलित वृद्धि लगभग 10.18% एवं यूपीसीएल द्वारा टैरिफ में प्रस्तावित वृद्धि लगभग 8.02% के सापेक्ष आयोग द्वारा टैरिफ में वृद्धि को प्रतिबन्धित कर मात्र लगभग 2.68% की वृद्धि की गई। आयोग द्वारा विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं हेतु टैरिफ को पुनर्निधारित करते समय यह प्रयास किया गया कि सभी श्रेणियों में क्रास-सब्सिडी को कम किया जा सके।
बीपीएल उपभोक्ताओं (लगभग चार लाख उपभोक्ता, कुल घरेलू उपभोक्ताओं का 20 प्रतिशत) एवं नोटीफाईड स्नोबाउंड एरिया के उपभोक्ताओं के टैरिफ में मात्र चार पैसा प्रति के डब्ल्यूएच की वृद्धि की गई।
घरेलू श्रेणी के 100 यूनिट प्रति माह तक उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं हेतु स्थिर प्रभार में वृद्धि नहीं की गई है। टैरिफ में मात्र 10 पैसा प्रति यूनिट की वृद्धि की गई है। आयोग ने क्रास सब्सिडी को धीरे-धीरे कम करने के उद्देश्य से पीटीडब्ल्यू श्रेणी के लिए विद्युत के मूल्य 208 केडब्यूएच से बढ़ाकर 2.15 केडब्यूएच किया गया है। माह में प्रतिदिन 18 घंटे की न्यूनतम औसत आपूर्ति प्राप्त नहीं किए जाने की दशा में एचटी औद्योगिक उपभोक्ताओं का डिमांड चार्जेज उस माह में अनुमोदित डिमांड चार्जेज का 80 प्रतिशत लगाया जाएगा।
विभागीय उपभोक्ताओं के लिए घरेलू श्रेणी पर लागू टैरिफ के आधार पर समान बिलिंग होगी। पब्लिक इलैक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन के लिए निर्धारित टैरिफ रुपये रू0 5.50 केडब्ल्यूएच यथावत रखा गया है।
उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि उत्तराखंड में राजस्व विभाग, शासन एवं जिलाधिकारियों के शिथिलता और निष्क्रियता से अनेकों स्नोबाउंड क्षेत्र अभी भी बंधित है क्योंकि उनका नोटीफिकेशन नहीं हुआ है।
आनलाईन, डिजीटल भुगतान पर छूट के दर 0.75 से बढा के 1.25प्रतिशत कर दी गयी है। नियामक आयोग जिन राज्यों की बिजली दरों की तुलना करके अपनी पीठ थपथपा उपभोक्ताओं के वहलाने के प्रयास करने रहा है वहीं शायद यह भूल रहा है कि यह राज्य ऊर्जा प्रदेश है और यहाँ जलविद्युत के साथ साथ सौर्य ऊर्जा पर यूजेवीएन एल और उरेडा व यूपीसीएल द्वारा रिकार्ड उत्पादन के हर साल शेखी वघारी जाती रही है। यहाँ इस प्रदेश में जितनी जलविद्युत के उत्पादन लक्षय आजपूरा होना चाहिए था उसका दस प्रतिशत भी पूरा नहीं हुआ और सदियों वर्षों से जलविद्युत परियोजनाएं सरकार व इनकी लापरवाही और निकम्मेपन से पूरी नहीं हुई, जिसका खामियाजा यहाँ के उपभोक्ताओं के भुगतना पड़ रहा है।
क्या धामी -2 सरकार और ऊर्जा मंत्री स्वयं धामी गलेगले तक भ्रष्टाचार में डूबे इन ऊर्जा निगमों पर कोई प्रभावी एक्शन कर इनकी सूरत और सीरत बदलेंगे या फिर ऐसे ही ढोंग में रम जायेंगे?
क्या सीएम पुष्कर सिंह धामी इस दरों में बद्धि पर पुनः विचार कर बढ़ाई गयीं दरे वापस लेकर राहत पहुँचायेगे? और इन अपने आधीनस्त ऊर्जा नियमों में व्याप्त भ्रष्टाचार व निकम्मेपन पर लगाम कसने पर लेंगे कोई एक्शन?
देखिए इनके द्वारा प्रस्तुत कुछ राज्यों का तुलनात्मक चार्ट….