धामी शासन सो रहा है, तभी तो दग रही है अपनी दादागीरी! – Polkhol

धामी शासन सो रहा है, तभी तो दग रही है अपनी दादागीरी!

वाह रे, वाह! ऊर्जा विभाग! 

बिना आदेश के ही प्रभारी एमडी स्वयं बन बैठे निदेशक परियोजना भी?

धड़ल्ले से खिलाये जा रहे हैं निरंतर यहाँ गुल
अति जूनियर खासमखास को बनाया कुमायूँ व गढ़वाल का चीफ (परियोजना)
और खुद बिछा दी बिसात प्रभारी निदेशक परिचालन के पद पर चहेते की भी!
अभियंताओं और अधिकारियों में असंतोष

क्या दो दिन वाली बादशाहत का आदेश वापस लेंगी एसीएस ऊर्जा  

(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)

देहरादून। भ्रष्टाचार सहन नहीं होगा की दुहाई देने वाली धामी-2 सरकार की आँखों पर वह कौन सा चश्मा लगा है जिससे ऊर्जा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार व घोटाला नहीं दिखाई दे रहा।
यही नहीं अब न जाने वह कौन सी मजबूरी है शासन में बैठी अपर मुख्य सचिव ऊर्जा की जो एक के बाद एक भीषण और गम्भीर अनियमितताओं पर बजाए एक्शन के नरमी अख्तियार किये हुये हैं। क्या अब भी हनकबाज रहे ऊर्जा मंत्री रावत का खौफ बरकरार है या फिर पुष्कर से तथाकथित पुरानी मित्रता के असर और रिश्तों की धमकियाँ ? शायद, इसीलिए अवैध और अनुचित कामों को निरन्तर अंजाम देने वाले एमडी यूपीसीएल व प्रभारी एमडी पिटकुल वेखौफ दादागीरी से ऐसे ऐसे आदेश किये जा रहे हैं जिनसे अधिकारियों और अभियंताओं में भय व्याप्त है तथा वे स्वच्छ मन से कार्य करने में हिचकिचा रहे हैं।
इस दादागीरी के नमूना एक और प्रकाश में आया है जिसके अनुसार सर्वाधिक जूनियर किन्तु अपने खासमखास अधीक्षण अभियंता को मुख्य अभियन्ता का डबल डबल (कुमायूँ और गढ़वाल) चार्ज दिनांक 21मार्च को ही दिलवा दिया गया।

देखिए दोनों चार्ज सार्टीफिकेट…

ज्ञात हो कि एमडी द्वारा उँगलियों पर नाचने वाले ऐसे जूनियर अधीक्षण अभियन्ता का उक्त चार्ज दिया गया है जो चर्चित आईएमपी पाॅवर ट्राँसफार्मर घोटाला प्रकरण में गम्भीर रूप से सम्मिलित व संदिग्ध रहे हैं तथा अब ढंग से खिचड़ी पक सके। यही नहीं यहाँ अगर पिटकुल के धन की वर्वादी बचाने की नियत अगर एमडी के होती तो दोनों मंडलों के अलग अलग चीफ नियुक्त करते, पर यहाँ तो सरोकार खिचड़ी पकाने और घोटाला को अंजाम देने का है।
…ताकि अपना चहेता चीफ ही बन सके प्रभारी डीओ!

एक तीर से एक और अप्रत्यक्ष शिकार भी यहाँ किया गया है वह परवान चढ़ता है या नहीं ये तो समय ही बतायेगा? सूत्रों के अनुसार गुप्ता जी, चीफ इंजीनियर (सीएण्डपी) व गढ़वाल जो वर्तमान में अवकाश पर चल रहे हैं को प्रभारी निदेशक (परिचालन) का चार्ज दिलाने के फिराक में हैं क्योंकि के 6 मार्च को निदेशक (परिचालन) संजय मित्तल का कार्यकाल पूरा हो रहा है तथा कुम्भकर्णी नींद में सो रहे ऊर्जा विभाग द्वारा अभी तक रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया खटाई में डाली हुई है। यदि ऊर्जा विभाग इसी प्रकार सोता रहा तो निदेशकों के खाली पडे़ पदों पर मुख्य अभियन्ता ही प्रभारी के रूप में काबिज दिखाई देंगे और फिर होगा बेड़ा गर्क!

क्या थाना चौकी की तरह अब बोलियाँ लगाकर प्रभारी निदेशकों की नियुक्तियाँ करने का इरादा है धामी सरकार का ? तभी तो जानबूझकर शासन द्वारा समय पर नियुक्ति प्रक्रिया नहीं की गयी। इस लापरवाही और उदासीनता के जिम्मेदारी आखिर किसकी?

ज्ञात हो कि उक्त आदेश जिन अनिल कुमार द्वारा प्रबंध निदेशक एवं निदेशक (परियोजना) के पद का उल्लेख करते हुये किया गया है वह इन दोनों पदों के अवैध व अनुचित रूप से किया गया है जबकि वास्तविकता यह है कि उक्त महाशय वर्तमान में न ही पूर्ण एमडी है और न ही निदेशक परियोजना के पद पर शासन द्वारा कोई ऐसे आदेश हैं।

मजेदार सवाल यहाँ यह भी उठता है कि गत सप्ताह बोर्ड की बैठक में इन्हीं महाशय के इशारों और साँठगाँठ के चलते एक सोची समझी साजिश के तहत निदेशक (वित्त) के नाम मनमाने ढंग से जानबूझकर जिन शरारती लोंगो द्वारा “चल गया तो सिक्का और नहीं चला तो गलती हो गयी” की कहावत को चरितार्थ करते हुये हटा दिया गया था। उक्त गम्भीर गुस्ताखी पर अपर मुख्य सचिव ऊर्जा का बजाए निलम्बन के जीरो एक्शन समझ से परे है। यही कारण है कि दो-दो निगमों के एमडी के हौसले बरकरार हैं।

हमारी खबर का असर ! एसीएस ऊर्जा ने लगाई तुगलकी फ़रमानों पर रोक

उल्लेखनीय तो यह भी है कि यूपीसीएल में भी गत 18 जनवरी 2022 के एक आदेश स्वयं को चौधराहट बरकरार रखने और अधिक काली कमाई की महत्वाकांक्षा से 25 जनवरी 2021 के आदेश का अतिक्रमण निदेशक (परिचालन) के द्वारा एक कार्यालय ज्ञान संख्या 319 के माध्यम से कराया जा चुका है। उक्त अजब गजब के आदेश को हमारे द्वारा 31 जनवरी को उजागर किया गया था जिस पर संज्ञान लेते हुये अपर मुख्य सचिव ऊर्जा आईएएस राधा रतूडी़ ने दिनांक 15 फरवरी, 2022 को आदेश पत्र संख्या – 181/ ऊर्जा अनुभाग-2 के तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुये उक्त अनुचित अतिक्रमण का अतिक्रमण कर लिया।

गैस बेस्ड ऐनर्जी पर भी लगी रोक

इससे पहले भी हमारे द्वारा जनहित में गैस बेस्ड इनर्जी के महाघोटाले के समाचार प्रकाशित किये गये थे जिन पर संज्ञान लेते हुये 14 मार्च को रोक लगा दी गयी और इस सम्बंध में विद्युत नियामक आयोग को भी निर्देशित किया दिया गया।

क्या सीएम एवं ऊर्जा मंत्री धामी व मुख्य सचिव आईएएस डा. सन्धू करेंगे प्रभावी एक्शन या फिर ऊर्जा निगमों के इन घोटालेबाजों को ही खिलाते रहेंगे मक्खन?

क्या दो दिन वाली बादशाहत का आदेश वापस लेंगी एसीएस ऊर्जा  जिसका उपयोग की बजाए जी को दुरुपयोग हो रहा है और अब तो पिटकुल में प्रभारी  एमडी के अतिरिक्त निदेशक वित्त और निदेशक एच आर  ही बचे हैं और दो खाली हो गये हैं! ऐसे में यदि उक्त आदेश पत्रांक 2694 दि.  22-12-2021 वापस न लिया गया तो इसका गम्भीर खामियाजा पिटकुल के भुगतना पड़ेगा जिससे विकास नहीं विनाश ही होगा! 

देखिए दुरुपयोग और डीपी के पद का अवैध व अनाधिकार  प्रयोग …

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