नैनीताल कोर्ट: रेलवे भूमि पर अतिक्रमण मामला: निर्णय सुरक्षित – Polkhol

नैनीताल कोर्ट: रेलवे भूमि पर अतिक्रमण मामला: निर्णय सुरक्षित

नैनीताल। उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण के मामले में सोमवार को सुनवाई पूरी हो गयी है और उच्च न्यायालय ने अतंत: निर्णय सुरक्षित रख लिया है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा के अवकाश पर रहने के चलते न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में इस प्रकरण की सुनवाई हुई। रेलवे महकमे की ओर से आज प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश की गयी। रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे अतिक्रमण हटाने को लेकर गंभीर है और महकमे की ओर से 30 दिनों के अंदर अतिक्रमण हटाने को लेकर एक कार्ययोजना नैनीताल के जिला प्रशासन को सौंपी गयी है।

जिला प्रशासन की ओर से इस पर अंतिम संस्तुति प्रदान की जानी है। जिला प्रशासन के साथ एक बैठक भी हुई है।

हल्द्वानी के बनभूलपुरा व गफूरबस्ती में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण का मामला सन् 2015-16 में तब सामने आया था जब हल्द्वानी निवासी रविशंकर जोशी की ओर से अतिक्रमण हटाने को लेकर उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी। रेलवे की ओर से तब अदालत को बताया गया गया था कि 4365 अतिक्रमणकारियों की ओर से अतिक्रमण किया गया है। जिससे रेलवे महकमे को कई प्रकार की दुश्वारियां झेलनी पड़ रही हैं।

इसके बाद अदालत ने इस मामले में सख्त रूख अख्तियार करते हुए 09 नवम्बर 2016 को महत्वपूर्ण आदेश जारी कर अतिक्रमण हटाने के निर्देश दे दिये थे। अदालत ने रेलवे को यह भी निर्देश दिये थे कि अतिक्रमण हटाने से पहले सभी को नोटिस जारी करे और उन्हें सुनवाई का पर्याप्त अवसर दें।

याचिकाकर्ता की ओर से इसी साल फिर से नयी जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि रेलवे अतिक्रमण को लेकर गंभीर नहीं है और अभी तक अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। हालांकि इसी बीच रेलवे की ओर से अदालत को बताया गया कि 4365 में से 4356 अतिक्रमणकारी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाये। नौ लोगों की ओर से विभिन्न जगहों में वाद लंबित है।

आज सुनवाई के दौरान कुछ अतिक्रमणकारियों की ओर से इस मामले में प्रार्थना पत्र देकर हस्तक्षेप करने की कोशिश की गयी लेकिन अदालत ने उन्हें अधिक तरजीह नहीं दी। अदालत के रूख से साफ है कि अदालत अतिक्रमण को लेकर गंभीर है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव सिंह बिष्ट ने बताया कि अदालत ने अंत में निर्णय सुरक्षित रख लिया और सभी पक्षकारों को अंतिम मौका देते हुए कहा है कि अपना सुझाव दस दिन के अंदर लिखित में प्रस्तुत कर दें।

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