वर्षा जल संरक्षण ही जल संकट से बचाएगा : शेखावत

दिल्ली।  जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने देश में जल संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए वर्षा जल संचयन, जल संरक्षण और पानी को पुन: इस्तेमाल के लिए उपयोगी बनाने जैसे उपायों पर जोर दिया और कहा कि अब भूजल जैसे उपायों पर निर्भरता कम की जानी चाहिए।

शेखावत ने मुंबई में आज ‘भारत का जल दृष्टिकोण 2040’ पर आयोजित राष्ट्रीय जल सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में पानी की उपलब्धता दर प्रति व्यक्ति लगातार जिस रफ्तार से कम हो रही है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत जल्द ही पानी की कमी वाला देश बन जाएगा।

उन्होंने कहा, “करीब 50 साल पहले भारत में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 5,000 घन मीटर हुआ करती थी लेकिन बढ़ती आबादी और पानी के अनावश्यक उपयोग के कारण अब यह घटकर 1500 घन मीटर रह गयी है।

उनका कहना था कि हमारे देश की भौगोलिक विविधता और वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के कारण भारत के लिए जल धीरे धीरे चुनौती बन रहा है और इस संबंध में स्थिति ज्यादा जटिल हो गई हैं।

वर्षा जल संचयन पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि देश में औसत वार्षिक वर्षा 1184 मिलीमीटर है तथा देश में करीब 4,000 अरब घन मीटर पानी वार्षिक रूप से वर्षा से आता है और इसका उपयोग लगभग 2000 अरब घन मीटर है जबकि सतह पर हमारी कुल जल संरक्षण क्षमता 300 अरब घन मीटर से कम है।

उन्होंने कहा कि जल देश के लिए बडा संकट बन सकता है इसलिए समय रहते उपाय किए जाने की जरूरत है और इससे जुड़ी चुनौतियों के निदान के लिए वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण एक बड़ा अवसर है।

 

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