नई दिल्ली। कार्बन उत्सर्जन के स्तर में कमी लाने के प्रयासों के अंतर्गत देश की सबसे बड़ी एकीकृत विद्युत उत्पादक कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने दिल्ली जल बोर्ड के सीवेज ट्रीटमेन्ट प्लांट्स (एसटीपी) के स्लज (कचरे) का उपयोग बिजली बनाने में करने के लिए बोर्ड के साथ मिल कर एक पहल की है।
एनटीपीसी की एक विज्ञप्ति के अनुसार उसके दादरी संयंत्र की यूनिट-4 के बॉयलर में सूखे स्लज का दहन कर के बिजली का उत्पादन किया गया। कंपनी ने कहा है कि हरित तकनीक पर आधारित यह समाधान पर्यावरण के लिए अनुकूल तरीके से एसटीपी स्लज से हरित ऊर्जा बनाने का आधुनिक तरीका है, जिसमें कार्बन डाई ऑक्साईड का उत्सर्जन नहीं होता।
बयान में कहा गया है कि दिल्ली-एनसीआर में विभिन्न सीवेज ट्रीटमेन्ट प्लांट से रोजाना 800 टन स्लज उत्पन्न होता है। इस स्लज का निपटान करना एक बड़ी चुनौती भरा काम है क्योंकि इसकी वजह से भारी मात्रा में पर्यावरण प्रदूषण होता है। बॉयलर में कोयले की जगह सूखे स्लज (कचरे) को ईंधन के रूप में प्रयोग करने से कार्बन डाई ऑक्साईड के उत्सर्जन में कमी आएगी, जिससे प्रदूषण कम होगा और साथ ही पर्यावरण के अनुकूल तरीकों का उपयोग कर अपशिष्ट से हरित ऊर्जा बनाई जा सकेगी।
एनटीपीसी ने 2032 तक नव्यकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 60,000 मेगवाट बिजली उत्पादन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य तय किया है। कंपनी की मौजूदा इंस्टॉल्ड क्षमता 68,881.68 मेगावॉट है, जिसमें 23 कोयला आधारित, 7 गैस आधारित स्टेशन, 1 हाइड्रो, 19 नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं शामिल हैं।
संयुक्त उद्यम के तहत एनटीपीसी की 9 कोयला आधारित, 4 गैस आधारित स्टेशन, 8 हाइड्रो, 5 नवीकरणीय उर्जा परियोजनाएं हैं।