राज्य के दुर्गम क्षेत्रों उत्तरकाशी जिले के मोरी, टिहरी जिले के घनसाली, चमोली जिले के गैरसैंण व चम्पावत में राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की नई स्थायी पोस्ट खुलेंगी।
अभी तक देखने में आया है कि इन क्षेत्रों में दुर्घटनाएं होने पर राहत व बचाव कार्य देरी से शुरू हो रहा था। इसको ध्यान में रखते हुए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
डीजीपी ने चार धाम यात्रा के मद्देनजर एसडीआरएफ की व्यवस्था को लेकर बैठक ली। डीजीपी ने कहा कि चार धाम यात्रा मार्गों पर पडऩे वाले पुलिस थानों में चार व चौकियों में दो एसडीआरएफ से प्रशिक्षण प्राप्त पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाए।
वहीं, आपदा मित्रों को राहत एवं बचाव कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाए। इन सभी आपदा मित्रों का जिला स्तर पर वाट्सएप ग्रुप बनाया जाए, जिसमें एसडीआरएफ के पोस्ट कमांडर और कंपनी कमांडर को भी जोड़ा जाए। जिससे आपदा की स्थिति में सूचना तेजी से मिले और रिस्पांस टाइम अच्छा हो।
उन्होंने कहा कि हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू टीम की क्षमता को बढ़ाते हुए इसमें प्रशिक्षण प्राप्त 50 कर्मियों को ट्रैकिंग के बेस प्वाइंट पर तैनात किया जाए। उन कर्मचारियों को शामिल किया जाए, जो 20 हजार फीट की पर्वत शृंखला पर चढ़ चुके हों। इस मौके पर अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था वी. मुरुगेशन, पुलिस महानिरीक्षक एसडीआरएफ पुष्पक ज्योति, उप महानिरीक्षक एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल भी मौजूद रहे।
यह भी दिए दिशा-निर्देश
– चार धाम यात्रा एवं मानसून के मद्देनजर एसडीआरएफ की ओर से पुलिसकर्मियों को दिए जाने वाले आपदा एवं बाढ़ राहत प्रशिक्षण को मई, जून, जुलाई व अगस्त में संचालित न किया जाए। यह प्रशिक्षण सितंबर महीने से शुरू किया जाए।
– पीएसी एवं पुलिसकर्मियों की क्षमता में बढ़ोतरी हो, इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाए।
– बाढ़ राहत की प्रत्येक टीम को अति आधुनिक बाढ़ राहत उपकरण से लैस किया जाए।