वाह रे, वाह! ऊर्जा विभाग वाह !!
नमक पिटकुल का और वफादारी कान्ट्रेक्टर ईशान की?
साजिश के तहत गुमराह करके आर्बीट्रेशन से कराया मनचाहा फैसला और गेंद ली अपने पाले में!
हाईकोर्ट के आदेश की फिर अवमानना!
झुकाव की बजह कहीं इनकी पार्टनरशिप तो नहीं?
(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)
देहरादून। एक ओर एमडी यूपीसीएल ऊर्जा संकट के समय निगम में मित्ब्ययीता पर रोक लगाते हुये वफादारी का आदेश विगत 29 अप्रैल 2022 को पारित करते हुये ढोंग कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर यही जनाब एमडी साहब पिटकुल की लगभग नौ करोड़ की राशि को ठिकाने लगाकर अपने चहेते कान्ट्रेक्टर मैसर्स ईशान को अनुचित लाभ पहुँचाने की फिराक में हैं।
यदि सीएम धामी और मुख्य सचिव डा. एस एस सन्धू आईएएस व सचिव ऊर्जा आईएएस आर मीनाक्षी सुन्दरम ने तत्काल इस प्रकरण पर रोक नहीं लगाई तो किसी भी समय उक्त भारी भरकम रकम को एक सोची समझी साजिश के तहत ठिकाने लगा दिया जायेगा।
ज्ञात हो कि उक्त 19 अप्रैल 2022 के आदेश की आड़ में एमडी पिटकुल आज या कल में अथवा किसी भी समय आर्वीट्रेटर से अधिकृत मीडियेटर की भूमिका अदा कर या फिर मनचाही कमेटी गठित की पिटकुल के करोडों बारे न्यारे कर जनधन की क्षति पहुँचा सकते हैं? फिराकी एमडी व उनके कॉकस के कारण पिटकुल के लगभग नौ करोड़ की भारी भरकम रकम को नुक्सान और ईशान को अनुचित लाभ पहुँचाया जी सकता है?
देखिए आर्वीट्रेटर का आदेश…
जिस पर लगनी चाहिए जनहित में तत्काल रोक
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस नायाब खेल में माननीय हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में दो-दो आईएएस एमडी डा. नीरज खैरवाल और आईएएस दीपक रावत सहित सीओडी (कमेटी आफ डाईरेक्टर्स) के निर्णयों को भी ठेंगा दिखा दिया जायेगा? स्मरण हो कि दोनों आईएएस एमडी पहले ही ईशान की दलीलों को ठुकरा चुके हैं और माँगे जा रहे अनुचित क्लेम को विधिवत निरस्त कर चुके हैं।
मजेदार बात तो यह भी है कि ईशान प्रकरण में प्रारम्भ से सम्मिलित रहे वर्तमान एमडी किस प्रकार निष्पक्ष हो सकते हैं?
यहाँ यह भी बताया जा रहा है कि उक्त कान्ट्ररैक्टर ईशान कभी अपना क्लेम आठ करोड़ और फिर कभी चालीस करोड़ तो अब नौ करोड़ के दावे की छलाँग इस डाल से उस डाल पर लगाते हुये सभी का समय नष्ट कर इस उधेड़बुन में लगा रहता है कि कभी न कभी तो गुल खिलेगा ही…!
सूत्रों की अगर यहाँ यह भी माने तो उक्त करोडों की रकम के वारे न्यारे करने के लिए जिस तरह से सेटिल्ड हो चुके इस प्रकरण पर ‘दाल न गल सकी‘ से खिसियाये पिटकुल के ढोंगी तथाकथित इन वफादार एमडी और जीएम लीगल/कम्पनी सचिव से साँठगाँठ करके बिना अधिकार खिलाफ कानून एक फार्मर विद्वान जस्टिस (सोल आर्वीट्रेटर) की नियुक्त कर तीसरी सिटिंग में ही फैसला अपने मन मुताबिक सच्चाईयों को छिपाते हुये करवा लिया उससे माननीय न्यायमूर्ति की गरिमा पर भी प्रश्न (?) चिन्ह लगता नजर आ रहा है। ऐसा इस लिए भी प्रतीत हो रहा है क्योंकि उक्त आर्वीट्रेशन के आदेश दिनांक 19 अप्रैल 2022 में पेज दो की तीसरी पंक्ति में एमडी के लिए लिखा शब्द “requested” ही अपने आप में सारा मंजर स्वतः ही स्पष्ट कर रहा है कि इस तरह का आदेश भी क्या एक न्यायमूर्ति रहे आर्वीट्रेटर का हो सकता है क्या? या फिर आर्वीट्रेशन में खर्चे के रूप में भरी जाने वाली 16, 37, 883 की रकम के 50 प्रतिशत आदि बडी़ रकम का बोझ भी पिटकुल पर और इसके पीछे की तथाकथित गेटिंग सेटिंग का ही यह कमाल है?

कई न्यायिक एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि पहले तो इस प्रकरण पर अब आर्वीट्रेशन गठित होना ही नहीं चाहिए था क्योंकि मामला उच्चन्यायलय के आदेश पर पहले ही निर्णित हो चुका था। और यदि कोई पक्ष उन दो-दो आईएएस एमडी और सीओडी के फसलों से असहमत है तो वह सेकिंड अपील के लिए हाईकोर्ट में या फिर सुप्रीम कोर्ट में ही जा सकता है। गंगा नीचे से ऊपर शायद पिटकुल में बहाने के यह अनूठा कारनामा है।
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि किसी षडयंत्र के तहत ही उक्त आर्वीट्रेशन में हाईकोर्ट के आदेश दिनांकित 8-9-2020 के अनुपालन में निर्णित हो चुके मामले जैसे अनेकों तथ्यों को दोनों पक्षों के द्वारा जानबूझकर एक सोची समझी साजिश के तहत छिपाया गया और उक्त आदेश, आदेश न होकर अनुरोधात्मक स्वयं धोखा देकर या अतिविश्वास में लेकर बनवाया गया है या फिर स्वयं टाईप कराकर दे दिया गया आदि आदि? वैसे सच्चाई तो राम ही जाने!
उल्लेखनीय तो तब यह होगा कि जब उत्तराखंड शासन और धामी सरकार ऐसे गम्भीर हानिकारक खेल खेल रहे एमडी पिटकुल और उनके कम्पनी सचिव व जीएम लीगल जो टंडन अपार्टमेंट सेंटर में बैठकर पिटकुल की करोडों की रकम ठिकाने लगाने वाले इन ढोंगी वफादारों की साजिश के परवान चढ़ने से पहले ही रोक लगाकर शासन के विधी सचिव या सतर्कता विभाग को तत्काल समस्त सम्बंधित रिकार्ड कब्जे में लिए जाने के आदेश जनहित में पारित करे साथ ही जिला न्यायालय में इसके विरुद्ध याचिका दायर करके वरबादी से बचाये!
ज्ञात हो कि इस ट्रिपल फीडर पैनल के प्रकरण में खेले जा रहे खेल को हमारे द्वारा जून 2017 से अब तक अनेकों बार समाचार के रूप में अपने न्यूज पोर्टल व “तीसरी आँख का तहलका “ में हर गोलमाल को उजागर करने के साथ प्रकाशित किया जाता रहा है जब इस गोलमाल और घोटाले की नींव वर्तमान एमडी जो उस समय चीफ इंजीनयर (सी एण्ड पी) थे तथा इनके इस कॉकस में तभी से किसी न किसी रूप में चीफ इंजी. अग्रवाल व गुप्ता एवं विशेष चर्चित अदाकार, कलाकार टंडन साहब भी खास भूमिका निभाने में संलिप्त और तत्पर रहे हैं और आज भी सक्रिय दिखाई पड़ रहे हैं।
यही नहीं उक्त मामले में हमारी खबर पर ही तत्कालीन एमडी एस एन वर्मा ने भी तत्काल डीआई जारी किये जाने पर जून 2017 में ही रोक लगा दी थी। ज्ञात हो कि जिस तरह से यह पूरा भ्रष्टाचारी कॉकस इस ईशान के प्रकरण में छटपटा रहा है उससे हमारा दावा है कि हो न हो इस कान्टरेक्टर कम्पनी के साथ या तो इन एमडी महोदय व उनके साथियों की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष पार्टनरशिप है तभी तो नमक पिटकुल का और वफादारी कान्ट्रेक्टर की…! यही नहीं यदि धामी शासन ने इस प्रकरण पर खड़ा रुख अपनाया और केन्द्रीय बिजीलेंस कमीशन से या फिर ऊर्जा विभाग को छोड़कर किसी अन्य प्रभावी ऐजेन्सी से जाँच कराई तो बित्तीय अनियमितताओं के अनेकों गम्भीर मामलों का खुलासा हो सकता है?
ढोंगी एमडी के एक और नमूना हाथी दाँत के कहावत को तरह …
दूसरी ओर एमडी साहब यूपीसीएल के अधिकारियों और कर्मचारियों को महँगे मोबाईल फोन खरीदने और तीन साल बाद निगम की ओर से तोहफा देकर निगम के करोडों खर्च करके वाहवाही लूटने के प्रयास। यही नहीं लैपटॉप भी….! देखिए ऊर्जा संकट में दरियादिली साहब की …