हिसार। हरियाणा के पूर्व मंत्री प्रो. सम्पत सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार ने 10 सरकारी विश्वविद्यालयों को सहायता राशि न देकर उन्हें कर्जे में डुबोकर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर ली है ।
उन्होंने आज यहां कहा कि प्रदेश सरकार ने इस वर्ष प्रदेश के 10 मुख्य सरकारी विश्वविद्यालयों की सहायता राशि बंद करके पहली किस्त के रूप में 147 करोड़ रुपए का कर्ज जारी किया है। एक तरफ तो सरकार नये-नये विश्वविद्यालय खोलने में झूठी वाहवाही लूट रही है और दूसरी तरफ सरकारी विश्वविद्यालयों को निजी हाथों में देने की तैयारी कर रही है।
प्राे सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग के कर्जा देने के प्रस्ताव को वित्त विभाग ने भी सहमति प्रदान कर दी है यानी विश्वविद्यालयों को अपना खर्चा चलाने के लिए अब कर्जे पर ही निर्भर होना पड़ेगा। इससे पहले विश्वविद्यालयों को वेतन और विकास कार्यो के लिए सरकार की तरफ से 15 प्रतिशत वित्तीय सहायता राशि लगभग 300 -350 करोड़ रुपए की बजट से मिलती रहती थी। प्रदेश के सबसे पुराने कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय को अब सरकार के 60 करोड़ रुपये कर्जे पर निर्भर करना पड़ेगा। सरकारी विश्वविद्यालयों को अनुदान राशि की जगह कर्जा देने से अध्ययन व शोध पर दुष्प्रभाव पड़ेगा। इस कदम से पूंजीपतियों द्वारा संचालित निजी विश्वविद्यायलों को बल मिलेगा।
उन्होंने कहा कि पहले ही सरकार की गलत नीतियों की वजह से प्रदेश में बेरोजगारी और महंगाई नासूर और वायरस का रूप ले रही है। पिछले 12 माह में जहां देश में 7.83 प्रतिशत बेरोजगारी की दर के मुकाबले में प्रदेश में 34.5 प्रतिशत बेरोजगारी की दर है। इससे प्रतीत होता है कि एक तिहाई बेरोजगारी की वजह से प्रदेश की उत्पादक क्षमता भी गिरती जा रही है।
उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में विश्वविद्यालयों की अनुदान राशि बंद करके उन्हें कर्जे के हवाले करना मंहगाई और बेरोजगारी को बढ़ावा देना साबित होगा। हर वर्ष नये महाविद्यालय, विश्वविद्यालय खोलने की होड़ को छोड़कर पहले से चल रहे महाविद्यालय, विश्वविद्यालय व अन्य तकनीकी संस्थानों को मजबूत किया जाना चाहिए। ये संस्थाएं पहले ही प्राध्यापकों व अनुसंधान के लिए वित्तीय कमी की वजह से निष्क्रिय हो गई थी अब अनुदान राशि बंद करने की वजह से सरकारी शैक्षणिक संस्थान बंद होने के कगार पर पहुंच जाएगी।