73 साल बाद थॉमस कप जीतकर भारतीय टीम ने जीता इतिहास, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चमका अल्मोड़ा का लाल – Polkhol

73 साल बाद थॉमस कप जीतकर भारतीय टीम ने जीता इतिहास, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चमका अल्मोड़ा का लाल

अल्मोडा।  भारत की बैडमिंटन टीम ने 73 साल बाद थॉमस कप जीतकर इतिहास रच दिया है। टीम को कप दिलाने में उत्तराखंड के लक्ष्य सेन का अहम योगदान रहा है। थॉमस कप जीतने के बाद लक्ष्य के अल्मोड़ा स्थित घर समेत पूरे जिले में जश्न का माहौल है। आज अल्मोड़ा स्थित उनके घर में उनकी बुआ गीता पंत, उत्तराखंड बैडमिंटन ऐसोसिएशन के महासचिव बीएस मनकोटी समेत अन्य रिश्तेदारों ने खुशी मनाते हुए एक दूसरे मिठाई खिलाई।

इस दौरान लक्ष्य सेन की बुआ गीता पंत ने बताया कि लक्ष्य की इस उपलब्धि पर उन्हें काफी गर्व है। लक्ष्य ने बचपन से ही बैटमिंटन के लिए जो मेहनत की वह मेहनत आज सार्थक हो रही है। आज उन्होंने अल्मोड़ा के साथ पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई खिलाने की इच्छा पर बुआ गीता का कहना है कि अल्मोड़ा से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित सभी खिलाड़ियों को अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई जल्द भेजी जायेगी।

इस दौरान उत्तरांचल बैडमिंटन एसोसिएशन के महासचिव बी एस मनकोटी ने बताया कि भारत ने 70 सालो में पहली बार थॉमस कप जीतकर इतिहास बनाया है। इस जीत में अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन का अहम योगदान है। लक्ष्य सेन ने पूरे प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है। लक्ष्य सेन बहुत जल्द अल्मोड़ा आने वाले हैं। उनके अल्मोड़ा में भव्य स्वागत की तैयारियां की जा रही हैं।

बतादें कि 73 साल बाद भारत को थॉमस कप दिलाकर पूरे विश्व में भारत और अल्मोड़ा का गौरव बढ़ाने वाले बैडमिंटन के स्टार खिलाड़ी लक्ष्य सेन को बैडमिंटन खेलने का हुनर विरासत में मिला है। उनके दादा स्व. सीएल सेन बैडमिंटन की कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीत चुके हैं। दादा से विरासत में मिले बैडमिंटन खेल को आगे बढ़ाकर लक्ष्य इतिहास रचने में सफल हुए हैं। लक्ष्य के पिता डीके सेन भारतीय खेल प्राधिकरण में बैडमिंटन कोच रहे हैं और वर्तमान में प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन एकेडमी बेंगलुरु में प्रशिक्षण दे रहे हैं। डीके सेन थॉमस कप जीतने वाली भारतीय टीम के कोच बनकर भी टीम के साथ गए थे। पूर्व में भी उन्हें कई बार भारतीय टीम का प्रशिक्षक बनकर विदेशों में आयोजित बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने का अवसर मिला है। लक्ष्य सेन के बड़े भाई चिराग सेन भी अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। चिराग जूनियर राष्ट्रीय बैडमिंटन चौंपियनशिप और जूनियर वर्ल्ड चौंपियनशिप में नंबर दो रह चुके हैं। लक्ष्य सेन अब तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 26 पदक जीत चुके हैं। इनमें अकेले 16 स्वर्ण पदक हैं। लक्ष्य सेन के साथ बैडमिंटन खेल चुके खिलाड़ियों का कहना है कि लक्ष्य के जन्म के बाद उनकी माता उनकों बैडमिंटन कोर्ट में ले जाती थी। होश संभालने के साथ ही लक्ष्य ने बैडमिंटन पकड़ लिया। इसके बाद लक्ष्य कोर्ट में करीब दस घंटे की कड़ी मेहनत कर पसीना बहाते थे।

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