बुन्देलखण्ड में तुलसी की खेती से किसानों की आय बढ़ी: मण्डलायुक्त – Polkhol

बुन्देलखण्ड में तुलसी की खेती से किसानों की आय बढ़ी: मण्डलायुक्त

झांसी। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में तुलसी की खेती के प्रयोग को सफल बताते हुए झांसी के मण्डलायुक्त डॉ अजय शंकर पाण्डेय ने गुरुवार को दावा किया कि इससे इलाके के किसानों की आय बढ़ी है।

झांसी जिले के विकास खण्ड बंगरा के ग्राम पठाकरका में तुलसी की खेती के सफलतम प्रयास के अन्तर्गत तुलसी उत्पादन के भण्डारण का निरीक्षण करने के बाद डा पाण्डेय ने कहा कि इससे साबित हो रहा है कि बुन्देलखंड में तुलसी की खेती से किसानों की आय निश्चित रुप से बढ़ी है।

मौके पर बंगरा क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों ने आयुक्त के समक्ष प्रस्तुत आंकड़ों में बताया कि वर्ष 2014 में 300 एकड़ क्षेत्र में तुलसी की पैदावार की जाती थी, जोकि आज बढ़कर 1200 एकड़ हो गयी है। इससे किसानों द्वारा चना, मटर, मूंग, उर्द की खेती पर निर्भर न होकर तुलसी की फसल का लाभ लिया गया। किसानों ने बताया कि इस फसल के उत्पादन में कम पानी की आवश्यकता होती है और इसको पशुओं द्वारा नुकसान नही पहुंचाया जाता है। मात्र बारिश के पानी से ही तुलसी की फसल तैयार हो जाती है। तुलसी की खेती को बढ़ावा देने की दिशा में मंडलायुक्त द्वारा गठित बुन्देलखण्ड विशिष्ट कृषि उत्पाद संरक्षण समिति की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

मण्डलायुक्त ने भण्डारण को देखकर उपस्थित किसानों से सीधे संवाद करते हुये इस फसल के बारे में फीडबैक लिया। उन्होने बताया कि उत्तम किस्म की तुलसी का बीज यहां के किसानों के लिये प्राथमिकता पर मिलना चाहिए। जिससे इसकी पैदावार में निरंतर गति प्रदान की जा सके। उन्होने मुख्य विकास अधिकारी को निर्देश दिये कि ऑर्गेनिक कम्पनियों से क्षेत्र में प्रोसेसिंग के साथ ही पैकेजिंग यूनिट प्लांट की स्थापना हेतु वार्ता करें, जिससे तुलसी फसल को बिजनेस मोड पर लाकर क्षेत्र के किसानों को और अधिक मुनाफा उपलब्ध कराया जा सके।

मण्डलायुक्त ने कृषि तथा उद्यान विभाग को इस क्षेत्र में गोष्ठियां आयोजित कर फसल उत्पादन के लिये प्रशिक्षण उपलब्ध कराने तथा सरल भाषा में हैण्डबिल/पम्पलेट तैयार कराने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड की जलवायु तुलसी के लिये काफी मददगार साबित हो रही है, जिससे इस क्षेत्र में पैदावार बढ़ने से गांव-गांव में गोदाम की आवश्यकता होगी।

डा पाण्डेय ने कहा कि तुलसी के डंठल को हवन सामग्री में प्रयोग करने के लिये विभिन्न कम्पनियों से वार्ता कर इसकी बेहतर ब्रांडिंग की जा सकती है। उन्होने कहा कि आयुर्वेद में तुलसी का बड़ा महत्व है, यह पूर्णरुण से शुद्व है। इसमें किसी प्रकार की कोई मिलावट नही होती है। कोरोना काल में तुलसी इम्यूनिटी पावर बढ़ाने में कारगर रही है। उन्होने कहा कि तुलसी फसल उत्पादन को संगठित रुप देने की आवश्यकता है। उन्होने तुलसी के साथ ही अश्वगंधा की खेती की शुरुआत करने पर किसानों को प्रोत्साहित किया।

बंगरा क्षेत्र के एफपीओ के निदेशक पुष्पेन्द्र यादव ने बताया कि पहले मात्र पांच गांवों में तुलसी की पैदावारी की जाती थी, लेकिन अब 10-12 गांवों में इसकी पैदावार की जाती है। उन्होने बताया कि पतंजलि, ऑर्गेनिक इण्डिया कम्पनी द्वारा क्षेत्र के किसानों का रजिस्ट्रेशन किया गया है और तुलसी के इस माल की धनराशि किसानों को उनके खाते में उपलब्ध करा दी गयी है। इससे किसान पूर्ण रुप से संतुष्ट है कि तुलसी की फसल कम लागत में अधिक मुनाफे वाली फसल साबित हो रही है, इसमें किसी प्रकार का घाटा नही है।

कार्यक्रम के दौरान मुख्य विकास अधिकारी शैलेष कुमार, संयुक्त कृषि निदेशक एसएस चौहान, उप निदेशक उद्यान विनय यादव, सहायक आयुक्त सहकारिता उदयभानु, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के डॉ सत्यवीर सिंह और मण्डलीय परियोजना प्रबन्धक आनन्द चौबे के अलावा प्रगतिशील किसान उपस्थित थे।

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