देहरादून। हरिद्वार जिले में बढ़ती घरेलू एवं औद्योगिक विद्युत मांग को देखते हुए 132 के.वी विभव के पारेषण तंत्र के सुद्धरीकरण का कार्य पिटकुल यानी पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड के द्वारा कराया जा रहा है, जिसके तहत 50.48 करोड़ की लागत से 132 केवी 80 एमबीए क्षमता के उपस्थान पदार्था तथा 33.48 करोड़ की लागत के 132 के.वी लिलो चीला- नजीबाबाद पारेषण लाइन का निर्माण कार्य किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि 132/ 33 केवी उपस्थान पदार्था हरिद्वार का निर्माण कार्य उच्च स्तरीय आधुनिक तकनीकी तथा भारतीय अथवा अंतरराष्ट्रीय नवनीत मानकों के आधार पर किया गया है, उपस्थान के पूर्णतया नियंत्रण एवं निगरानी हेतु सबस्टेशन ऑटोमेशन प्रणाली को स्थापित किया गया है। जिसकी सहायता से उपस्थान में हो रही सभी प्रकार की गतिविधियों को उपस्थान के नियंत्रण कक्ष एवं देहरादून में स्थित प्रांतीय प्रभार नियंत्रण केंद्र में भी नियंत्रण एवं निगरानी किए जाने की क्षमता है। इस प्रणाली की सहायता से उपस्थान में होने वाली किसी भी प्रकार की तकनीकी खराबी का पूर्व में ही अनुमान लगाया जा सकता है तथा भविष्य में होने वाली किसी भी प्रकार की तकनीकी खराबी की पुनरावृति से भी बचा जा सकता है साथ ही साथ उप स्थान में होने वाले तकनीकी कार्यकलापों की लॉग फाइल एवं हिस्ट्री को भविष्य के तकनीकी विश्लेषण हेतु सहेज कर रखा जा सकता है।
उक्त जानकारी पिटकुल के महाप्रबंधक विधि, कम्पनी सचिव एवं मीडिया प्रभारी प्रवीन टंडन द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गयी है।
उन्होंने रह भी बताया कि 132 केवी उपस्थान पदार्थ हरिद्वार के उर्जीकरण हेतु 13 सर्किट किलोमीटर 132 केवी लिलो-चीला-नजीबावाद लाईन का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। इसी प्रकार 132 केवी लाइन के निर्माण में पिटकुल द्वारा प्रथम बार 4 नग 75 मीटर ऊंचे टावरों को गंगा नदी की क्रासिंग करने हेतु स्थापित किया जा रहा है। जिसका डिजाइन नवीनतम भारतीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर किया गया है। उपरोक्त टावरों के डिजायन गंगा नदी के अधिकतम जी स्तर तथा क्षेत्र में अधिकतम हवा की गति को ध्यान में रखकर किया गया है। इसके अतिरिक्त टावरों को स्थापित करने में लागू भारतीय विमान द्वारा जारी दिशा निर्देशों का भी ध्यान रखकर किया गया है। गंगा नदी की क्रासिंग जहां पर नदी के दोनों किनारों की लंबाई लगभग 22 किलोमीटर है हेतु चार नग बैल फाउंडेशन जिन का व्यास 12 मीटर एवं गहराई लगभग 26 मीटर है का निर्माण कार्य भी पूर्ण कर लिया गया है। इस प्रकार गंगा नदी की क्रॉसिंग हेतु 22 किलोमीटर विस्तृत लंबाई के 7 कंडक्टर को खींचा जाएगा। उपरोक्त टावरों के फाउंडेशन एवं टावर लगाने का कार्य गंगा नदी के तेज बहाव होने के उपरांत भी सभी प्रकार के मानकों एवं सुरक्षा दिशा निर्देशों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।
वहीं पिटकुल के प्रभारी प्रबंध निदेशक अनिल कुमार के द्वारा अवगत कराया गया कि 132/ 33 केवी 80एमवीए उपस्थान पदार्था हरिद्वार के उर्जीकरण के उपरांत जनपद जनपद हरिद्वार एवं समीपवर्ती क्षेत्र में बढ़ती घरेलू एवं उद्योगों की विद्युत मांग को पूर्ण करने हेतु उच्च गुणवत्ता की विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित होगी। इसके अतिरिक्त 220केवी उपस्थान ऋषिकेश एवं 220 केवल उपस्थान रोशनाबाद से जुड़े होने के कारण बोल्टेज गुणवत्ता में भी गुणात्मक सुधार होगा।