निदेशक वित्त का प्रभार अब यूजेवीएन एल के निदेशक वित्त सुधाकर बडोनी को?
तीन घार साल बाद फिर जारी हुई एक और अनसाईन्ड आदेश की कापी! क्या कहीं फिर आस्तीन के किसी साँप की हरकत या ब्लेंडर??
देहरादून। ऊर्जा विभाग के पिटकुल में आज दो- दो मुख्य अभियंता क्या सेवानिवृत्त हुये कि प्रभारी एमडी अनिल कुमार की एक और वेरोकटोक वाली लाॅटरी निकल आई। यही नहीं मान्यवर प्रभारी एमडी साहब ने आज मुख्य अभियन्ता वी सी पांडे एवं दीप शाह के सेवानिवृत्त हो जाने के साथ ही अपने खासमखास चीफ इंजीनियर राजीव गुप्ता और एच एस हंयाकी की जिममेदारियों में और इजाफा करने में किंचित भी देर नहीं लगाई। तथा क्यू ए क्यू सी को अपने पास?
ज्ञात हो कि चर्चित प्रभारी एमडी ने अपना मनपसंद पुष्पक विमान से एक ही दिन में घर बैठे बैठे अनेकों सैंकड़ों – सैंकड़ों किलोमीटर की दूरी वाले असम्भव स्थलीय निरीक्षणों को कर दिखाने में कमाल दिखाया था, और अब फिर अब फिर शायद ऐसी ही कोई तमन्ना के साथ चमत्कार को नमस्कार सर दिखा सकते हैं? पहले के चमत्कारी निरीक्षणों के खामियाजा आज भी पिटकुल भुगत रहा है।
उल्लेखनीय तो यह भी रहा है कि जनाब का यह पुराना चहेता क्यू एंड क्यू सी विभाग है जिसे उन्होंने अपने पास ही रखा है।
इस तरह से प्रभारी एमडी पिटकुल अनिल कुमार के पास अब पिटकुल के डायरेक्टर प्रोजेक्ट एवं डायरेक्टर ऑपरेशन सहित दो मुख्य अभियंताओं के दायित्व भी सीधे तौर पर आ गए हैं। यूपीसीएल के इसके अतिरिक्त हैं। बड़ा बोझ है साहब पर फिर भी पदों के और प्यासे, कमाल है जनाब आपका क्योंकि कृपा है पुष्कर के…!
यहाँ अगर चर्चाओं पर गौर फरमाया जाये तो मुख्यालय में विद्यमान और कोई भी मुख्य अभियन्ता शायद इस योग्य नहीं हैं या फिर यूँ कहा जाये कि सुर में सुर मिलाकर चलने वाले नहीं हैं! तभी तो चौकड़ी के अच्छे दिन और पिटकुल के कैसे दिन आयेंगे स्वतः ही सर्वविदित है?
मजेदार बात तो यहाँ यह भी है कि गोदी मीडिया अपने मन से ही खुद चौधरी बने हुये शासन की और साजिशन चंडू खाने की खबर जनता में उड़ा काॅकस के आन्दोलन की हवा दे रहा है ताकि भ्रष्टाचार के रास्ते कहा काँटा निदेशक वित्त का स्तीफा उनके क्यों और भ्रम से मंजूर हो जाये… ऐसा ही एक समाचार आठ दस दिन पूर्व भी एक तथाकथित ठेकेदार बड़े समाचार पत्र द्वारा प्रकाशित किया जा चुका है जिसके सचिव ऊर्जा के हवाले के उल्लेख आज ही के तरह किया गया था किन्तु न तब कोई अधिकारिक शासनादेश तब दिखाई पड़ा और न आज अब तक…!? काश यही खबर ऐसे ही कोई छोटे मीडिया द्वारा प्रकाशित की गयी होती तो यही शासन धाँय निकाल काटने को दौड़ता! जबकि आज शाम को जारी हुये हैं आदेश की अपुष्ट प्रति अनधिकृत….? क्या इस तथाकथित ई-साईन प्रति के बिना डिस्पैच नम्बर के अधिकृत माना जाना चाहिए?
देखिए ये है….!
तीन घार साल बाद फिर जारी हुई एक और अनसाईन्ड आदेश की कापी! क्या कहीं फिर आस्तीन के किसी साँप की हरकत या ब्लेंडर??
ऐसा ही एक पत्र पहले भी आईएमपी प्रकरण में हुआ था जारी!
न कोई डिसपैच नम्बर और न ही कोई प्रदर्शित होने वाले हस्ताक्षर – मान्य होगा तो कैसे?