श्रीनगर। कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि वह कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यकों पर आतंकवादियों के हमलों के बढ़ते खतरे को देखते हुए उन्हें दूसरी जगह बसाने के लिए केन्द्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को निर्देश दे।
केपीएसएस के अध्यक्ष संजय टिक्कू ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र देकर बताया कि कश्मीरी पंडितों की पुर्नवास की प्रक्रिया केन्द्र सरकार द्वारा साल 2020 में शुरू की गयी थी। इस प्रक्रिया के तहत ही कश्मीरी पंडितों को घाटी में नौकरी और आवास की सुविधा मुहैया करायी गयी लेकिन अब घाटी में कश्मीरी पंडितों की निशाना बनाकर की गयी हत्याओं को देखते हुए अल्पसंख्यक बेहद डरे हुए हैं । इन घटनाओं के बाद से 1990 में हमले के बाद भी जिन्होंने घाटी नहीं छोड़ी थी वो भी भयभीत रहने लगे हैं।
संजय ने बताया कि केंद्र और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन धार्मिक अल्पसंख्यकों का बचाव कर पाने में विफल हो रहे हैं जिसके कारण वे आतंकवादियों के सीधे निशाने पर हैं।
केपीएसएस ने कहा कि जून 2020 से लेकर इस साल 31 मई तक, अल्पसंख्यक समुदाय के करीब 12 लोगों पर आतंकवादियों ने हमला किया ,जिनमें से 11 की मौत हो गई और एक गंभीर रूप से घायल हो गया। केपीएसएस ने मुख्य न्यायाधीश से जनहित में इस प्रतिनिधित्व को स्वीकार करने की अपील की है।