जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने राज्य में एक्यूट लीवर प्रत्यारोपण का पहला ऑपरेशन कर मरीज की जान बचाने में सफलता हासिल की है।
महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज और हास्पिटल के लिवर ट्रांसप्लांट विभाग के निदेशक डा नरेश मेहता ने आज यहां पत्रकारों को बताया कि झालावाड़ निवासी महिला पिछले कुछ दिनों ने अलग अलग रोगों के इलाज की दवाइयां ले रही थी और इन दवाईयों के साइड इफैक्ट के कारण रोगी के लीवर को काफी नुकसान पहुंचा और एक्युट फेल्यौर की स्थिति में पहुंच गया। अस्पताल लाते ही रोगी हो वेंटीलेटर की जरुरत पड़ गयी। साथ ही उसके दिमाग पर सूजन का खतरा भी बढ़ रहा था।
उन्होंने बताया कि ऐसे में मरीज के पास कुछ ही घंटे बाकी थे और ऐसे मामले में ज्यादातर रोगी अपनी जान गंवा देते है। रोगी की जान बचाने के लिए लीवर प्रत्यारोपण ही एक मात्र उपाय था। अचानक बने ऐसे हालात से रोगी परिवारजन घबरा गये और बड़ी सर्जरी के तैयार नहीं हुये।
इस पर हिपेटोलोजिस्ट डा करण करण कुमार ने परिवार की काउसलिंग कर उन्हें समझाया उसके बाद मरीज के परिजन इसके लिए सहमत हो गये। तत्काल प्रत्यारोपण के दस्तोवज तैयार कर इस संबंध में अनुमति ली गई। आपात स्थिति में देर रात को ऑपरेशन शुरु हुआ जो बारह घंटे चला। एक साथ दो आपरेशन थियटरों में दो ऑपरेशन एक साथ किये गये। एक थियटेर में दानदाता उसके पुत्र के लीवर का हिस्सा निकाला गया और दूसरे थियटर में मरीज कालीबाई के लीवर का खराब हिस्सा निकाला गया। इसके बाद लीवर प्रत्यारोपित कर दिया गया।
महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंस एण्ड टैक्नोलॉजी जयपुर के एमेरिस्ट चेयरपर्सन डा एम एल स्वर्णकार ने बताया कि अब तक इस अस्पताल में 26 लीवर प्रत्योराेपित किये जा चुके है। समाज में अंग दान के प्रति लोगों को जागरुक किये जाने की आवश्यकता हैं।