दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के अध्यक्ष मुकेश अंबानी एवं उनके परिवार को केंद्र सरकार की ओर से दी जा रही सुरक्षा पर सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका पर त्रिपुरा उच्च न्यायालय की ओर से जारी एक आदेश के खिलाफ शीघ्र सुनवाई करने की गुहार सोमवार को स्वीकार कर ली।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के ‘विशेष उल्लेख’ पर उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर मंगलवार को विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की।
केंद्र सरकार की सिफारिश पर श्री अंबानी और उनके परिवार को दी जा रही सुरक्षा पर सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका में उन्हें (अंबानी एवं उनके परिवार को) के खतरे की आशंका से संबंधित विवरण मांगने के त्रिपुरा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्र ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
विशेष उल्लेख के दौरान शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाते हुए सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि अंबानी को प्रदान की गई सुरक्षा का त्रिपुरा सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए जनहित याचिका पर विचार करने का उच्च न्यायालय के पास कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
मेहता ने उच्च न्यायालय के उस आदेश की वैधता पर भी सवाल उठाया, जिसमें खतरे की आशंका से संबंधित
दस्तावेजों के साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों को 28 जून को पेश होने के लिए कहा गया है।
सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत के समक्ष यह भी कहा कि केंद्र ने त्रिपुरा उच्च न्यायालय को यह भी बताया गया था कि बॉम्बे उच्च न्यायालय ने अंबानी को सुरक्षा प्रदान करने पर इसी तरह की एक याचिका को खारिज कर दी थी।
शीर्ष अदालत के दो सदस्यीय अवकाशकालीन पीठ के यह पूछने पर कि त्रिपुरा उच्च न्यायालय का आदेश अंतिम है या अंतरिम, श्री मेहता ने कहा कि यह आदेश अंतरिम है।