ऐतिहासिक फैसले से अब नहीं बढेंगी बिजली दरें!
स्टैकहोल्डर्स व पत्रकार सुनील गुप्ता सहित अनेकों की आपत्तियों के आगे नहीं टिके एमडी के घडि़याली आँसू
(सुनील गुप्ता, ब्यूरो चीफ)
देहरादून। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने आज यूपीसीएल की बिजली दरों में फिर वृद्धि किये जाने की रिब्यू पिटीशन आज खारिज कर दी। उक्त रिब्यू पिटीशन के निरस्त होने से प्रदेश के बिजली उपभोक्ता एक और सितम से बच गये जो यूपीसीएल का प्रबंधतंत्र अनुचित रूप से मगरमच्छीय आँसू बहाकर खुद की गलतियों और स्वार्थी दुष्कृत्यों का खामियाजा थोपना चाहता था।
ज्ञात हो कि यूपीसीएल द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए ARR में बढो़त्तरी हेतु (विद्युत टैरिफ) फरवरी माह में एक पिटीशन डाली जा चुकी थी जिस पर मार्च में नियामक आयोग ने जनसुनवाई करने के उपरांत बिजली दरों में मामूली वृद्धि करते हुये टैरिफ निर्धारित किया था। उक्त टैरिफ पूरे 12 महीने अर्थात 1 अप्रैल से 31 मार्च 2023 तक के लिए निर्धारित हुआ था। प्रायाः ऐसा ही लगभग लगभग हर साल होता भी आया है किन्तु इस बार जब से सबसे अधिक भ्रष्टतंत्र ऊर्जा प्रदेश के इस ऊर्जा विभाग के इन तीनों निगमों में हावी हुआ है तभी से यूपीसीएल एमडी व उनके सहयोगी निदेशक परिचालन सहित इन सभी के दाँत कुछ अधिक ही पैने होकर निकल आये थे परिणाम स्वरूप जैसे भी हो अपनी जेबें भरो और माले मुफ्त दिले बेरहम की तरह केवल अपना काम बनता, भाड़ में जाये जनता को साकार करो की राह पर सभी भ्रष्ट व घोटालेबाज एक साथ चल पडे़। नतीजतन बिना कोई ठोस प्लानिंग और दूरदर्शिता व सूझबूझ के सरकार की सरपरस्ती में वेताज बादशाह बन कर “बंदर खेत खाएँ और कुत्ते लटकाये जायें” की कहावत को चरितार्थ करने निकल पडे़। जानबूझ कर नाम बिजली की शार्टिज और काली कमाई पर निगाहें गडा़, मँहगी दरों पर बिजली (पाॅवर) क्रय कर ली गयी जबकि सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध थी। क्योंकि इस परचेज में भी इनकी चाँदी थी और क्योंकि किसी नासूर की तरह कुण्डली मार बिठाए गये वीटा, गामा और श्रावंती गैसबेस्ड इनर्जी जनरेटर्स पर निरंतर एक भी यूनिट बिजली लिए बिना ही करोंडों का फिक्सड कैपीटेशन चार्जेज लुटाने के उपरांत भी इन पर मेहरबान एमडी यूपीसीएल ने वेवजह बिना कुछ सोचे समझे ही या फिर यूँ कहा जाये जानबूझ कर “जेब से कंगाल और दिल से रहीश” बने इन दरियादिल साहब ने उसमें भी चाँदी काटी और साँठगाँठ के तहत एनर्जी की आवश्यकता नहीं होगी का पत्र पहले ही जारी कर दिया था।
मजे की बात तो यह भी है कि अभी मात्र चालीस दिन ही बीते थे कि यूपीसीएल ने 946 करोड़ की एक रिब्यू पिटीशन नियामक आयोग में 11 मई 2022 को प्रस्तुत कर दी।
उक्त रिब्यू पिटीशन पर माननीय विद्युत नियामक आयोग ने 6 जून को फिर जनसुनवाई की। इस जन सुनवाई में पत्रकार व स्टैक होल्डर्स (उपभोक्ता) सुनील गुप्ता सहित अनेंको घरेलू, कृषि, कामर्शियल एवं औद्योगिक स्टैक होल्डर्स ने तार्किक रूप से तथ्यों के साथ आपत्तियाँ दर्ज कराईं और रिब्यू पिटीशन निरस्त किये जाने की पुरजोर बकालत की। नियामक आयोग ने उक्त जनसुनवाई में आयी हुयी आपत्तियों को उचित एवं यपीसीएल की रिब्यू पिटीशन के आधार को अनुचित मानते हुये आज 29 जून को अपने 20 पृष्टीय आदेश में निरस्त कर दिया।
उल्लेखनीय तो यहाँ यह भी है कि यूक्रेन की लडाई का सीधा असर यूपीसीएल पर पडा़, इसका भी हास्यापद बहाना यूपीसीएल द्वारा लिया गया तथा अपनी गैसबेस्ड इर्जी के पत्र लिखे जाने की गल्ती को ढके रखे जाने का प्रयास किया गया। वहीं यूपीसीएल एमडी इस तर्क के आगे भी बौने साबित हुये कि जब गर्मी पूरे देश में है और बिजली की आवश्यकता व माँग हर प्रदेश के विद्युत वितरण निगम को है फिर भी उनके द्वारा कोई ऐसी दरें बढा़ये जाने की पिटीशन नहीं डाली गयी। जबकि यह प्रदेश तो ऊर्जा प्रदेश है और यहाँ सस्ती दरों पर जल विद्युत एनर्जी बहुतायत में उपलब्ध है फिर मँहगी बिजली क्रय क्यों?
इन्हीं सब दलीलों और घोर विरोध के चलते आज विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल की रिब्यू पिटीशन खारिज कर दी। उक्त प्रशंसनीय आदेश में द्वी सदस्यीय आयोग के तकनीकी सदस्य एम के जैन व न्यायिक सदस्य एवं प्रभारी चेयरमैन डी पी गैरोला ने आई आपत्तियों का अपने उक्त आदेश में वर्णन करते हुये रिब्यू पिटीशन को एडमीशन की स्टेज पर ही मेंनटेनेबिल न मानते हुये खारिज कर दिया। यदि उक्त रिब्यू रिट पिटीशन आयोग द्वारा स्वीकार कर ली जाती तब लगभग 12 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि बिजली दरों में होती जिसे आर्थिक मंदी और कोरोना काॅल से त्रस्त उपभोक्ताओं को “करे कोई और भरे कोई” के अनुसार भुगतना दुर्लभ हो सकता था।
देखना यहाँ अब यह गौरतलव होगा कि यूपीसीएल प्रबंधतंत्र अब अपने दुष्कृत्यों और मनमाने विवेकहीन प्रबंधन की करनी से निगम पर पडे़ इस सैंकडो़ करोड़ के बोझ को किस तरह मैनेज करता है या फिर कोई और कौआ चाल चल कर जनता पर थोपने का दुस्साहस करता है। क्या नियामक आयोग अगली एआरआर में शरारतन बिना किसी अनुमति व सूझबूझ के क्रय की गयी 945 करोड़ की रकम की भरपाई जनधन से न की जाये, पर निगाह रखेगा? और जिसकी करनी दंड उसी से वसूले जाने की दिशा में कोई कदम उठायेगा?
क्या प्रदेश की वर्तमान डबल इंजन की धामी सरकार अपने इस शेखचिल्ली लाडले एमडी की अकुशल प्रबंधनीति पर कोई दण्डात्मक कार्यवाही करेगी या फिर शासन व सत्ताधीशों की निजी दुधारु गाय को ऐसे ही जनता और जनधन की बर्वादी व लूटखसोट जारी रखने के लिए पाले रखेगी?
देखिए उक्त आदेश…..