डा मुखर्जी ने राष्ट्र निर्माण के लिये की थी जनसंघ की स्थापना : स्वतंत्रदेव

देवरिया। उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री और भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने बुधवार को कहा कि जनसंघ के संस्थापक डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश के गरीबों के कल्याण और राष्ट्र निर्माण के लिये इस संगठन की स्थापना की थी, इससे प्रेरित होकर ही देश व प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मजबूत सरकारें गरीबों के लिये काम कर रही हैं।

डा मुखर्जी की 121वीं जयन्ती के अवसर पर सिहं ने उनके जीवन पर आधारित पुस्तक ‘डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी-व्यक्तित्व एवं कृतित्व’ का विमोचन करने के बाद कहा कि डा. मुखर्जी देश में समता मूलक समाज और गरीबों के कल्याण के लिये जीवन प्रयन्त काम करते रहे। उन्होंने कहा कि डा मुखर्जी के संघर्ष की ही देन है कि देश और प्रदेशों में भाजपा की मजबूत सरकारें जनहित एवं गरीब कल्याण के लिये समर्पित हैं।

सिंह ने कहा कि आज की तारीख में भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है। यह पार्टी अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं के बल पर कार्य कर रही है। भाजपा परिवारवाद की पार्टी न होकर देश के कल्याण और देश के विकास की पहचान बन चुकी है। उन्होंने कहा कि आज देश के प्रधानमंत्री मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में देश व प्रदेश में विकास, सुशासन, गरीब कल्याण और महिला सुरक्षा के लिये नये-नये आयाम लिखे जा रहे हैं।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जनसंघ की निरंतर व्यापक होती राष्ट्रवाद की विचारधारा से घबराकर एक बार नेहरू ने जनसंघ को कुचलने की धमकी दी थी। इस पर डा मुखर्जी ने कहा था कि वह अपने कार्यकर्ताओं की मेहनत, त्याग, तपस्या, सेवा और बलिदान से नेहरू के देश विरोधी विचारों को कुचल देंगे। सिंह ने कहा कि 03 सांसदों वाली पार्टी आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 300 सांसदों वाली पार्टी बनकर डा मुखर्जी के इस कथन को सत्य सिद्ध कर रही है और इसी का नतीजा है कि आज देश से कांग्रेस का अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका है।

सिंह ने कहा कि डा. मुखर्जी ने ‘एक देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नही चलेंगे’ के नारे को लेकर संघर्ष करते हुये ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त कर भाजपा की सरकार ने डा. मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। डॉ. मुखर्जी ने हमेशा अपनी विचारधारा को प्राथमिकता दी।

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