दिल्ली। डीजल-पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में कटौती के असर को परिलक्षित करते हुए देश में खुदरा मुद्रास्फीति जून में भी हल्की नरम होकर 7.01 रही। इससे पिछले महीने यह घट कर 7.04 प्रतिशत थी।
खुदरा मुद्रास्फीति कई माह से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए सहज सीमा से ऊपर है। रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया गया है जिसमें कुछ समय के लिए दो प्रतिशत की घट-बढ़ को सहन किया जा सकता है। आरबीआई मौद्रिक नीति तय करते समय खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों को ध्यान में रखता है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, जून में ग्रामीण मुद्रास्फीति 7.09 प्रतिशत और शहरी मुद्रास्फीति 6.92 प्रतिशत थी।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विस की मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, “ खुदरा मुद्रास्फीति में माह-दर-माह जून में भी आयी नरमी मोटर ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती के पूरे प्रभाव को परिलक्षित करती है। ”
उन्होंने कहा कि इसमें कुछ आवश्यक वस्तुओं के आयात पर शुल्क में कमी तथा वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों में आयी नरमी के बार देश में इसकी कीमत घटने की उम्मीद का भी असर पड़ा है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लि समूह के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा कि जून 2022 में खुदरा मुद्रास्फीति मुख्यत: खाद्य मुद्रास्फीति (7.75 प्रतिशत) और विनिर्मित वस्तुओं संबंधी मुख्य मुद्रास्फीति (6.2 प्रतिशत) में कमी के कारण रही।
गुप्ता के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट बाजार की उम्मीद से अधिक है। बाजार को उम्मीद थी कि यह जून में बढ़ कर 8.8 प्रतिशत के आस-पास रहेगी। मई में खाद्य मुद्रास्फीति 7.97 प्रतिशत थी।
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के जून के आंकड़ों का आरबीआई की अगस्त की समीक्षा बैठक की दृष्टि से कोई बड़ा महत्व नहीं दिखता क्योंकि बाजार पहले से यह उम्मीद किए बैठा है कि इस बैठक में नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की और वृद्धि तय है।
आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जून 2022 में खाद्य और पेय पदार्थों और विविध वस्तुओं की मुद्रास्फीति में कमी को पान, तंबाकू और नशीले पदार्थों, कपड़ों और जूते, आवास और ईंधन की महंगाई ने करीब-करीब बराबर कर दिया।
उन्होंने कहा, “ हम उम्मीद करते हैं कि खाद्य तेलों की कीमतों में हालिया गिरावट से जुलाई 2022 में खाद्य मुद्रास्फीति और शांत हो जाएगी हालांकि वर्षा में खराब होने वाली वस्तुओं की कीमतों में अस्थायी रूप से वृद्धि हो सकती है। बुवाई वाले खरीफ क्षेत्र में अभी पिछले साल से 9.3 प्रतिशत की कमी चल रही है। मानसूनी बारिश के अनियमित और छिटपुट रहने से मुद्रास्फीति के बढ़ने की प्रत्याशा का प्रभाव पड़ सकता है। ”