दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर आग्रह किया कि गैर-ब्रांडेड सामानों पर पांच प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के फैसले को कम से कम तीन महीने के लिए स्थगित किया जाए, जिससे इस वक्त में व्यापारियों को जीएसटी नंबर प्राप्त करने और उनके गैर-कर योग्य स्टॉक और पैकिंग सामग्री को समाप्त करने में सक्षम बनाया जा सके।
कैट ने एक बयान में कहा कि एक अनुमान के अनुसार व्यापारियों, मिल मालिकों, प्रसंस्करणकर्ताओं और निर्माताओं के पास लगभग 30 हजार करोड़ रुपये का खाद्यान्न पड़ा हुआ है जबकि लगभग छह हजार करोड़ रुपये की पैकिंग सामग्री पैकिंग माल निर्माताओं और अन्य व्यक्तियों के पास पड़ी है। अगर उन्हें समय नहीं दिया गया तो यह सब बहुत बड़ी बर्बादी होगी।
कैट ने सोमवार को विपक्षी नेताओं द्वारा पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने के विरोध को झूठ करार दिया है। विपक्षी दलों द्वारा जीएसटी का विरोध करने का यह कृत्य केवल व्यापारियों के गुस्से से बचने के अलावा और कुछ नहीं है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, छत्तीसगढ़, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे 10 बड़े और महत्वपूर्ण राज्य हैं। इन राज्यों के वित्त मंत्रियों ने बिना ब्रांड के खाद्यान्नों पर जीएसटी लगाने पर कभी भी जीएसटी परिषद में विरोध का एक शब्द भी नहीं बोला। जीएसटी की मूल भावना को विकृत करने के लिए राज्यों के वित्त मंत्री पूरी तरह से जिम्मेदार हैं जिसके कारण कर प्रणाली बेहद जटिल हो गई है।
राज्यों के वित्त मंत्री देश की लगभग 85 प्रतिशत आबादी द्वारा प्रतिदिन उपभोग किए जाने वाले गैर-ब्रांडेड खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाने के इस तरह के निर्णय को पारित करने के अपने दायित्व से बच नहीं सकते हैं।