नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरूवार को पेट्रोलियम विश्वविद्यालय से छात्र के निष्कासन पर रोक लगाते हुए कुलपति और अन्य को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डा0 कार्तिकेय हरिगुप्ता ने बताया कि वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की अदालत ने आज इस मामले पर सुनवाई करते हुए कुलपति के 23 मई के आदेश पर रोक लगा दी है और कुलपति व अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
यह मामला राजधानी देहरादून की प्रसिद्ध पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी (विवि) से जुड़ा हुआ है। वाकये के अनुसार विवि के स्नातक सातवें सेमेस्टर के छात्र ध्रुव चांदना इसी साल 16 मई को अपने दोस्त के साथ देहरादून नंदा चौकी से विडोली वाहन से जा रहे थे। इसी दौरान जब वे जसपाल शूटिंग रेज के पास पहुंचे तो एक वाहन ने कथित रूप से उनको बेहद गलत ढंग से ओवरटेक किया जिससे उनकी व आसपास के लोगों की जान जोखिम में पड़ गयी। उन्होंने बमुश्किल अपनी और आसपास के लोगों की जान बचायी। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो आरोपी कार चालक ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और गालियां दीं।
उन्हें बाद में पता चला कि कार पेट्रोलियम विवि के निदेशक (लीगल) बैजनाथ की है। आरोप है कि उन्होंने इस मामले की शिकायत जब पुलिस स्टेशन व विवि में करने की बात कही तो आरोपी इस बात से चिढ़ गया और इसके बाद 23 मई, 2022 को इस मामले में नया मोड़ आ गया। पेट्रोलियम विवि के कुलपति की ओर से एक आदेश जारी कर छात्र ध्रुव चांदना को विवि से तीन माह (03 अगस्त से 02 नवम्बर 2022 तक) के लिये निष्कासित कर दिया गया और विवि की गतिविधियों में भाग लेने से रोक लगा दी।
इस घटना से आहत छात्र के माता पिता की ओर से विवि के कुलपति से मिल कर व मेल के माध्यम से घटना के लिये क्षमा याचना की गयी और अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने और निष्कासन के आदेश को वापस लेने की मांग की गयी लेकिन कुलपति ने उनकी मांग को अनसुना कर दिया।
इसके बाद पीड़ित छात्र की ओर से इस मामले को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी और विवि के 23 मई के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गयी।