लखनऊ। बढ़ती आबादी और भूजल संरक्षण में लापरवाही को जल संकट का जिम्मेदार बताते हुये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले पांच सालों में राज्य में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए चलाये गये अभियानों के सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने शुक्रवार को यहां लोक भवन सभागार में ‘भूजल सप्ताह-2022 के राज्य स्तरीय समापन समारोह’ को सम्बोधित करते हुये कहा कि जिस तेजी के साथ आबादी बढ़ी और औद्योगीकरण हुआ फलस्वरूप भूगर्भीय जल का दोहन भी बढ़ा। उस अनुपात में भूगर्भीय जल के संरक्षण और संवर्धन के लिए जो कदम उठाये जाने चाहिए थे उनमें, बीच के कालखण्ड में, लापरवाही बरती गयी। इसका व्यापक असर प्रदेश के भूजल स्तर पर पड़ा। प्रदेश के अनेक विकास खण्ड अतिदोहित की श्रेणी में आकर डार्क जोन की श्रेणी में चले गये थे। आज उन्हें धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लाने की कार्यवाही की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2000 में प्रदेश में जितने विकास खण्ड अतिक्रिटिकल थे, 17-18 वर्षाें में उनकी संख्या बढ़कर कई गुना हो गयी थी। आज प्रदेश की आबादी लगभग 25 करोड़ है। स्वाभाविक रूप से पेयजल, सिंचाई एवं अन्य औद्योगिक उत्पादन के लिए हमारी जो आवश्यकता है, उसके लिए भूगर्भीय जल का अधिकाधिक प्रयोग किया गया है। लेकिन भूगर्भीय जल के संरक्षण के लिए किसी अभियान को जोड़ने का कार्य नहीं किया गया था। इसीलिए देश व प्रदेश में डार्क जोन की संख्या बढ़ी, खारेपन के साथ ही आर्सेनिक व फ्लोराइड की समस्या एक चुनौती के रूप में दिखायी दी।
उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से ‘कैच द रेन’ तथा ‘अमृत सरोवर’ जैसे कार्यक्रम पूरे देश में प्रारम्भ हुए हैं। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने आवश्यक कानून बनाए हैं और भी अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से जल संरक्षण के कार्याें को बढ़ावा दिया गया है। विगत 05 वर्षाें के अन्दर प्रदेश में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए चलाये गये अभियानों के सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं। हम अनेक विकास खण्डों को अतिक्रिटिकल से सामान्य विकास खण्डों में परिवर्तित करने में सफल हुए हैं। प्रदेश सरकार ने भूगर्भीय जल के प्रबन्धन और संरक्षण के लिए कार्ययोजना बनायी, जिसके कारण इस स्थिति में व्यापक परिवर्तन देखने को मिला। इसमें स