कोचिन शिपयार्ड ने नौसेना को सौंपा स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत – Polkhol

कोचिन शिपयार्ड ने नौसेना को सौंपा स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत

दिल्ली। भारतीय नौसेना के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। देश में ही डिजायन तथा बनाया गया पहला विमानवाहक पोत आई एनएस विक्रांत कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड ने गुरूवार को नौसेना को सौंप दिया।

आई एन एस विक्रांत को अगले महीने देश को समर्पित किया जायेगा जिसके बाद यह नौसेना की शान बढायेगा और देश की समुद्री सीमाओं की निगरानी तथा सुरक्षा करेगा। नौसेना के पास दो विमानवाहक पोत होने से उसकी ताकत बढने के साथ साथ मारक क्षमता भी बढेगी। विमानवाहक पोत के सभी तरह के परीक्षण हाल ही में पूरे किये गये थे। इस विमानवाहक पोत में 76 प्रतिशत साजो सामान स्वदेशी है और यह आत्मनिर्भरता की तरफ बढे रहे देश की लंबी छलांग है। इस विमानवाहक पोत के निर्माण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया है जो विमानवाहक पोत बनाने में सक्षम है।

सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर विक्रांत को देश को समर्पित करेंगे जिसके बाद इसे विधिवत रूप से नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया जायेगा। यह भी एक संयोग ही है कि यह विमानवाहक पोत ऐसे समय में देश को मिल रहा है जब आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में समूचे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है।

विक्रांत की लंबाई 262 मीटर तथा वजन 45 हजार टन है। चार गैस टरबाइन से 88 मेगावाट ऊर्जा के साथ यह 28 किलोमीटर समुद्री मील प्रति घंटा की गति से चल सकता है। इसे बनाने में करीब 20 हजार करोड़ रूपये की लागत आयी है। विमानवाहक पोत का निर्माण फरवरी 2009 में शुरू हुआ था।

विक्रांत से 30 लड़ाकू विमानों का संचालन किया जायेगा जिनमें मिग-29 के, कामोव-31 , बहुदेशीय हेलिकॉप्टर एम -60 आर, स्वदेशी उन्नत हल्का हेलिकॉप्टर और हल्के उन्नत लड़ाकू विमान (नौसेना) शामिल हैं।

कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ने नौसेना तथा शिपयार्ड के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में नौसेना मुख्यालय के प्रतिनिधि और विक्रांत के कमांडिंग अधिकारी नियुक्त को संबंधित दस्तावेज हस्ताक्षर के बाद सौंपे। विक्रांत के परीक्षण पिछले वर्ष अगस्त में शुरू हुए थे जो इसी महीने पूरे हुए हैं।

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