नैनीताल। गंगा के उद्गम स्थल गोमुख में कृत्रिम झील और उसके खतरे की आशंका को लेकर राज्य आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन विभाग की ओर से गुरुवार को साफ कहा गया है कि गोमुख में कोई झील नहीं बन रही है और उससे खतरे की कोई आशंका नहीं है।
आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से यह बात उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दी गयी रिपोर्ट में कही गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन की एक टीम मौके पर गयी थी और मौके की जांच की गयी।
मौके पर किसी प्रकार की कोई झील नहीं बनी है और न ही किसी प्रकार के खतरे की आशंका है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में मई से लेकर सितम्बर का समय जोखिम भरा होता है। इस दौरान बर्फ पिघलने या फिर बरसात के चलते जलस्तर बढ़ने की आशंका रहती है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियालॉजी को आपदा के लिहाज से नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है जो ऐसे दुर्गम इलाकों की निगरानी करेगी और स्थितियों पर नजर बनाये रखेगी।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ ने सरकार की दलील सुनने के बाद याचिका को पूरी तरह से निस्तारित कर दिया और आपदा प्रबंधन विभाग को कहा कि वह मई से सितम्बर के मध्य मौके की जांच कर इसकी रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे।
यहां बता दें कि दिल्ली निवासी अजय गौतम की ओर से 2017 में एक जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि गोमुख में एक डेढ़ किमी लंबी झील का निर्माण हो रहा है। इससे केदारनाथ जैसी प्राकृतिक आपदा आने की आशंका है।