नैनीताल। गंगा जल की शुद्धता एवं पवित्रता बनाये रखने के मामले में विशेषज्ञ आयोग बनाने संबंधी याचिकाकर्ता की मांग को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है और इस मामले में केन्द्र सरकार की ओर से उठाये गये कदमों पर संतोष जताया है।
दरअसल हरिद्वार निवासी प्रभु नारायण की ओर से गंगा के जल की पवित्रता एवं शुद्धता को लेकर उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी। याचिकाकर्ता की ओर से गंगा जल की शुद्धता कम होने और उसमें सुधार के लिये विशेषज्ञों की अगुवाई में एक आयोग के गठन की मांग अदालत से की गयी थी।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि आयोग गंगा जल की शुद्धता एवं गंगा के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये सुधारात्मक कदम सुझायेगा। याचिका में यह भी कहा गया कि अदालत इस मामले में केन्द्र सरकार को भी उचित कदम उठाने के लिये निर्देशित करे।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ ने गुरुवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता की मांग को खारिज कर दिया और अपने निर्णय में कहा कि केन्द्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन संचालित किया जा रहा है।
अदालत ने याचिका को पूरी तरह से निस्तारित कर दिया और कहा कि केन्द्र सरकार गंगा की पवित्रता को लेकर गंभीर है और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत कई कदम उठाये जा रहे हैं। इसलिये इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहे तो राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के समक्ष अपने सुझाव पेश कर सकता है।