दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को जोर देकर कहा कि कोविड महामारी, रूस -यूक्रेन लड़ाई और अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद डाॅलर की तुलना में रुपये की स्थिति अपेक्षाकृत मजबूत और अन्य मुद्राओं की तुलना में काफी अच्छी है।
सीतारमण ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया कि डाॅलर की तुलना में रुपया बुरी तरह लड़खड़ा गया है। उन्होंने कहा कि रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूती से खड़ा है।
वित्त मंत्री ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों का जवाब देते हुए कहा कि तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद डॉलर की तुलना में रुपये की स्थिति दुनिया की अन्य मुद्राओं की तुलना में ठीक है। उन्होंने कहा कि वैसे यह रिजर्व बैंक का विषय है, लेकिन फिर भी सरकार रिजर्व बैंक के साथ निरंतर बातचीत कर रही है कि इस स्थिति से कैसे निपटा जाये।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा किये जा रहे हस्तक्षेप रुपये की कीमत निर्धारित करने के लिए नहीं हैं, बल्कि वे उथल पुथल वाले माहौल से निपटने के लिए किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस समूची स्थिति को एक संदर्भ में देखने की जरूरत है और यह कहा जा सकता है कि रूपया अपने स्वाभाविक मार्ग पर चलने का रास्ता खोज रहा है।
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि रुपया डॉलर की तुलना में बुरी तरह लड़खड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कीमत में उतार चढाव का मामला है और एक संदर्भ में देखें तो रूपये की हालत अन्य मुद्राओं की तुलना में काफी अच्छी है।
रुपये की हालत सुधारने के लिए प्रवासी भारतीयों से धन मंगाने के एक सदस्य के सुझाव पर उन्होंने कहा कि वह इस पर विचार करेंगी।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि तब के गुजरात के मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान रुपये की निरंतर गिरती कीमत का मुद्दा इसलिए जोर शोर से उठाया था क्योंकि उस समय अर्थव्यवस्था अन्य मानदंडों पर भी बहुत कमजोर थी और 22 महीने तक महंगाई तक मुद्रा स्फीति की दर दहाई के आंकड़े में रही थी। अभी तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद रुपया मजबूती से खड़ा है और उसकी स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी है।
इससे पहले वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि सरकार रुपये की गिरती कीमत में सुधार के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी, निर्यात को बढ़ावा देने और सोने के आयात पर शुल्क जैसे अनेक कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के समय में रुपये की गिरावट 10 से 12 प्रतिशत रही है जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में यह औसतन 4.54 प्रतिशत रही है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक बार सात प्रतिशत रही है।
सीतारमण ने राज्यों को उपकर में हिस्सा न दिये जाने से संबंधित सवाल के जवाब में कहा कि उपकर से जो भी धन अर्जित किया जाता है उसे राज्यों के माध्यम से राज्यों में ही खर्च किया जाता है और यदि कोई अंतर रहता है तो केन्द्र उसकी भरपायी करता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र के पास कुछ नहीं रहता।