तो क्या भाजपा ने किया सरकारी जमीन पर अतिक्रमण ? सरकारी बुलडोजर के जद में भाजपा प्रस्तावित मुख्यालय ! – Polkhol

तो क्या भाजपा ने किया सरकारी जमीन पर अतिक्रमण ? सरकारी बुलडोजर के जद में भाजपा प्रस्तावित मुख्यालय !

देहरादून।  17 अक्टूबर 2020 को उत्तराखंड में भाजपा ने अपने नए भव्य प्रस्तावित प्रदेश मुख्यालय की नींव रायपुर रिंग रोड स्थित तकरीबन 16 बीघा की जमीन पर रखी थी लेकिन अब तकनीकी पेंच के चलते भाजपा के सपना टूटता नजर आ रहा है।

देहरादून के वकील विकेश नेगी द्वारा नैनीताल हाईकोर्ट में दायर की गई एक पीआईएल में दावा किया गया है कि रायपुर रिंग रोड पर मौजूद भाजपा प्रदेश मुख्यालय के रूप में प्रस्तावित भूमि तकनीकी रूप से सरकार की भूमि में विलय हो चुकी है और यहां अगर उत्तराखंड भारतीय जनता पार्टी अपना मुख्यालय बनाती है तो यह खुलेआम सरकारी जमीन पर भारतीय जनता पार्टी का अतिक्रमण होगा। खास बातचीत करते हुए एडवोकेट मुकेश नेगी ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी का मुख्यालय जिस जमीन पर दर्शाया गया है वह असल में चाय बागान की जमीन में विलय है और तकनीकी रूप से यह अब सरकारी भूमि है।

1960 में सीलिंग एक्ट से बचने के लिए चाय बागान में निहित हुई थी जमीन

एडवोकेट मुकेश नेगी ने कुछ पुराने एक्ट, शासनादेशों और कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए बताया कि दरअसल 1960 में सीलिंग एक्ट आने के बाद साडे 12 एकड़ से ज्यादा भूमि रखने पर और रोक लग गई थी और साडे 12 एकड़ से ज्यादा भूमि धारकों की भूमि को सीलिंग के जद में लिया जाने लगा इसी दौरान उन लोगों ने जिनके पास 12 पॉइंट 5 एकड़ से ज्यादा भूमि थी तो सीलिंग से बचने के लिए अपनी जमीनों को चाय बागान में परिवर्तित करके जमीनों की करने की कोशिश की गई जिसके बाद 10 अक्टूबर 1975 में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अध्यादेश के जरिए यह स्पष्ट किया कि 10 अक्टूबर 1975 के बाद चाय बागान की किसी भी जमीन को अगर बेचा जाता है और उसका लैंड यूज चेंज किया जाता है तो वह सेल डीड शून्य हो जायेगा और इसी अध्यादेश के हवाले से सुप्रीम कोर्ट ने भी 1996 में आदेश जारी किया की चाय बागान की जमीन का अगर लैंड यूज बदला जाता है और फिर इसे बेचा जाता है तो यह सरकारी जमीन में निहित हो हो जाएगी और वह जमीन सरकार सरकारी जमीन में निहित जाएगी। इसी के चलते देहरादून में मौजूद रानी पद्मावती की देहरादून रायपुर, चक रायपुर, नत्थनपुर और लाडपुर में मौजूद तकरीबन 350 बीघा जमीन को सीलिंग एक्ट की बचाने के लिए चाय बागान में तब्दील किया गया।

भाजपा प्रस्तावित मुख्यालय वाली जमीन चाय बागान का हिस्सा, नियमों के चलते भाजपा का सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का आरोप

देहरादून रायपुर रिंग रोड पर प्रस्तावित भाजपा प्रदेश मुख्यालय की 16 बीघा जमीन भी रानी पद्मावतिकी चाय बागान में परिवर्तित हुए 350 बीघे का एक हिस्सा है जिसे उत्तराखंड बीजेपी ने 2011 में रानी पद्मावती के भाई कुंवर चंद्र बहादुर से खरीदी गई है। लेकिन एडवोकेट विकेश नेगी का दावा है कि नियमों के अनुसार चाय बागान की जमीन को बेचे जाने पर सेल डिड स्वत ही शून्य होकर यह जमीन सरकारी जमीन का हिस्सा बन जाने का प्रावधान है और इस हिसाब से यह अगर भाजपा इसे अपनी जमीन बताती है तो यह भाजपा का सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण होगा।

एडवोकेट विकेश नेगी ने बताया कि रायपुर रिंग रोड स्थित भाजपा की प्रस्तावित प्रदेश मुख्यालय वाली जमीन भी रानी पद्मावती की चाय बागान वाली जमीन का एक हिस्सा है। एडवोकेट विकेश नेगी ने बताया कि पूर्व में देहरादून जिला प्रशासन ने इस जमीन के खसरा नंबर 73 को स्पष्ट रूप से चाय बागान का हिस्सा बताया है जो कि बाद में बदल कर खसरा नंबर 43 हो गया है। एडवोकेट का कहना है कि रानी पद्मावती की यह जमीन भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड ने वर्ष 2011 में खरीदी थी और नियमों के अनुसार चाय बागान की जमीन खरीदने या फिर उसका लैंड यूज़ परिवर्तित करने पर वह सरकारी जमीन में निहित हो जाएगी और इस तरह से यह सरकारी जमीन है और भाजपा का इस पर अवैध कब्जा है।

250 वर्ग मीटर से ज्यादा जमीन खरीदने पर BJP ने नहीं ली गई शासन की अनुमति

इतना ही नहीं भारतीय जनता पार्टी द्वारा 20 दिसंबर 2011 को यह 16 बीघा जमीन रानी पद्मावती से खरीदी गई। लेकिन याचिकाकर्ता विकेश नेगी बताते हैं कि भूमि संबधी तत्कालीन अधिनियम UPZLAR का क्लोज 154(3) कहता है कि ग्रामीण क्षेत्र में 200 गज से जड़ा अगर जमीन खरीदी जाती है तो उसके लिए शासन से अनुमति लेनी होगी। याचिकाकर्ता बताते हैं कि यह जमीन तकरीबन 16 बीघा है और उस समय ख भूमि ग्रामीण क्षेत्र में अति थी और नियम कहते हैं कि अगर किसी भी व्यक्ति द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में 250 वर्ग मीटर से ज्यादा जमीन खरीदी जाती है तो उसको उत्तराखंड शासन से अनुमति लेनी होगी और सूचना के अधिकार में यह खुलासा हुआ है कि भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड ने इस जमीन को खरीदने से पहले शासन से अनुमति नहीं ली गई है।

जिला प्रशासन ने शुरू की ध्वस्तीकरण की कार्यवाही

इस पूरे मामले पर देहरादून जिला प्रशासन का कहना है कि याचिकाकर्ता एडवोकेट विकेश नेगी द्वारा हाईकोर्ट में चाय बागान की जमीन को लेकर डाली गई याचिका के बाद हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को चाय बगान की जमीन को खाली करवाने के निर्देश दिए हैं जिसको लेकर कार्यवाही की जा रही है। हालांकि जब हमने अपर जिलाधिकारी एडीएम शिव कुमार बरनवाल से इस मामले में विशेष तौर से उत्तराखंड भाजपा द्वारा वर्ष 2011 में खरीदी गई 16 बीघा जमीन के संबंध में जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि अभी इस मामले पर जांच चल रही है और जैसे ही जांच में कुछ स्पष्ट हो पाएगा उसके बाद इस संबंध में वह स्पष्ट रूप से बता पाएंगे।

क्या है भाजपा की सफाई

भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड द्वारा रायपुर रिंग रोड स्थित 16 बीघा जमीन रानी पद्मावती से खरीदे जाने मैं विटनेस की भूमिका में रहे भाजपा नेता अनिल गोयल जोकि भाजपा के प्रस्तावित प्रदेश मुख्यालय के निर्माण की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा वर्ष 2011 में रायपुर रिंग रोड पर रानी पद्मावती से खरीदी गई यह जमीन पूरी तरह से नियमों के अधीन है और सभी विधिक प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही इस जमीन को खरीदा गया है। उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि इस तकरीबन 16 बीघे की जमीन पर भाजपा का एक भव्य प्रदेश कार्यालय बनना है जो कि उत्तराखंड के पारंपरिक शैली और यहां की संस्कृति को दर्शाए गा और जल्द ही इस पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। वहीं इस मामले पर भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा सभी नियमों का पालन करते हुए यह जमीन उस समय के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर खरीदी गई और इसका नियमों के तहत रजिस्ट्री और दाखिल खारिज अभी करवाया गया भाजपा अध्यक्ष का यह भी कहना है कि अब अगर किसी को इस बात पर शंका है तो वह न्यायालय में गया है और न्यायालय में इस बात का जवाब दे दिया जाएगा।

विपक्ष लगातार हमालावर, हरीश रावत ने की CBI जांच की मांग

उत्तराखंड भाजपा के प्रस्तावित प्रदेश कार्यालय के इस मामले पर कांग्रेस भी लगातार मुखर नजर आ रही है और कांग्रेस लगातार इस मामले को प्रमुखता से उठा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री और उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत का इस मामले पर कहना है कि उनकी सरकार में जिस तरह से चाय बागान की जमीन को स्मार्ट सिटी के लिए इस्तेमाल किए जाने का प्रस्ताव रखा गया था और भाजपा के कई नेताओं ने इसका पुरजोर विरोध किया था अब सामने आ रहा है कि चाय बागान की जमीनों को लेकर भाजपा के लोगों की पहले से ही नजरें गड़ी हुई थी। हरीश रावत का कहना है कि आज यह खुलासा हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी ने एक तरफ जहां चाय बागान की जमीन का खुर्द बुर्द कर के अपना मुख्यालय तो बनाया ही है लेकिन इसके अलावा कई अन्य लोगों द्वारा भी इस जमीन की खरीद फरोख्त करके अवैध निर्माण किए गए हैं। हरीश रावत का कहना है कि इस मामले में अगर सीबीआई जांच की जाए तो वास्तविकता सामने आएगी और भारतीय जनता पार्टी का वास्तविक चेहरा सार्वजनिक होगा।

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