मुरैना। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में राजस्थान के कोटा बैराज बांध से निरंतर छोड़े जा रहे पानी के कारण चंबल नदी ने छब्बीस साल बाद फिर रौद्र रूप दिखाया है।
मुरैना जिले स्थित राजघाट पर आज सुबह चंबल नदी खतरे के निशान 138 मीटर से आठ मीटर ऊपर बढ़ कर 146 मीटर पर दर्ज हुई। वर्ष 1996 में चंबल 145.20 मीटर पर पहुंची थी। उस समय उसने क्षेत्र में तबाही मचाई थी।
सूत्रों ने बताया कि चंबल ने करीब डेढ़ सौ मजरे, टोले और गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे हजारों लोग बेघर हो गए हैं। चंबल के पानी से करीब एक दर्जन से अधिक गांव पूरी तरह से डूब में आ गए हैं। जिला प्रशासन द्वारा राहत व बचाव कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कल यहां राहत व बचाव कार्यों की समीक्षा के दौरान मुरैना को आज 25 अगस्त को दो हेलीकाॅप्टर उपलब्ध कराए जाने को कहा। जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
सूत्रों ने बताया कि बाढ़ में घिरे लोगों को प्रशासन राहत शिविरों में शिफ्ट करा रहा है। शिविरों में पीड़ितों को खाने-पीने की समुचित व्यवस्था की गई है।