नोएडा में ट्विन टावर को गिराने में कड़ाई से हो सुरक्षा मानकों का पालन: मुख्यमंत्री – Polkhol

नोएडा में ट्विन टावर को गिराने में कड़ाई से हो सुरक्षा मानकों का पालन: मुख्यमंत्री

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा में नियमों को ताक पर रखकर बनाई गई बहुमंजिला आवासीय इमारत ट्विन टावर को उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गिराये जाने के दौरान सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।

योगी ने 28 अगस्त को ट्विन टावर गिराने की तैयारियों को लेकर शुक्रवार को समीक्षा की। समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि 28 अगस्त को आसपास के आवासीय परिसरों को सुबह के समय पूरी सावधानी के साथ खाली करा लिया जाये। स्थानीय प्रशासन 28 अगस्त को दोपहर 02:30 बजे ट्विन टावर गिराये जाने से पहले इसके पड़ोस में स्थित एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसाइटी को सुबह खाली करा देगा।

इस दौरान ट्विन टॉवर के चारों ओर की सड़कों पर यातायात आवागमन प्रतिबंधित रहेगा। इतना ही नहीं नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे भी ध्वस्तीकरण के समय आधा घंटे तक बंद रहेगा। बैठक में बताया गया कि ट्विन टॉवर को गिराने के लिये दोनों टावर में 9600 सुराख करके 3700 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री भरी गई है।

गौरतलब है कि भवन निर्माता कंपनी सुपरटेक द्वारा ट्विन टावर के निर्माण अनियमितता के दोषी पाये गये नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारी, कर्मचारी, बिल्डर और आर्किटेक्ट सहित अब तक 26 के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। इस मामले में मुख्यमंत्री के निर्देश पर जांच कराई गयी थी।

इस मामले में इमारत को गिराये जाने का उच्चतम न्यायालय से आदेश आने के बाद मुख्यमंत्री योगी ने डेढ़ दशक पुराने इस मामले की गहन जांच कराई। जांच में नोएडा विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों और बिल्डर की मिलीभगत की बात साबित हुई है।

ज्ञात हो कि वर्ष 2004 से 2006 के बीच मेसर्स सुपरटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा भूखंड संख्या जीएच 04, सेक्टर 93ए में 54,820 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की गई। इस भूमि पर अलग-अलग समय पर प्राधिकरण द्वारा मानचित्र स्वीकृत किए गए।

स्वीकृत मानचित्र के मुताबिक कुल 17 टावर बनाये जाने थे। जिनमें कुल 660 आवासीय यूनिट की स्वीकृति दी गई थी। इनमें 15 टावर 15-15 मंजिल के तथा 02 टावर 30 व 32 मंजिल के हैं। उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त 2021 को 17 टावरों में से ट्विन टॉवर के बीच में आवश्यक न्यूनतम खुला क्षेत्र नहीं होने तथा पूर्व आवंटियों से सहमति नहीं लिए जाने के कारण इसे 03 माह में ध्वस्त करने के आदेश दिये।

ध्वस्तीकरण पर खर्च होने वाली पूरी धनराशि सुपरटेक लिमिटेड द्वारा वहन की जायेगी। चयनित एजेंसी की अपील पर उच्चतम न्यायालय ने ध्वस्तीकरण के लिए समय सीमा को बढ़ाकर 28 अगस्त कर दिया है।

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