यदि ये लिस्ट सच है तो….?
तो सत्तासीन रहने से निष्पक्ष जांच व कार्यवाही सम्भव कैसे?
सुपात्र उत्तराखंडी युवाओं के साथ छल क्यों?
किसी ने भतीजे-भतीजी, किसी ने साले, तो किसी ने पत्नी को दिलाई विधानसभा में नौकरी!
कहीं जांच के नाम पर कोई नया खेल तो नहीं जायेगा खेला?
यह कैसी भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस और नज़ीर?
(ब्यूरो चीफ, सुनील गुप्ता की एक तहकीकात)
देहरादून। जिस पृथक राज्य के सपनों को लेकर उत्तराखंड की मात्र शक्ति व आंदोलनकारियों ने संघर्ष किया और कुर्बानियां दी थी उन्हें इसी प्रांत के ये माननीय और तथाकथित स्वयंभू वफादार ऐसे धूल धूसरित करेंगे, शायद कभी सोचा भी नहीं होगा। अपनों अपनों को अनुचित लाभ पहुंचाने वाले इन माननीयों ने तनिक भी नहीं सोचा कि वे किस हद तक सत्ता की हनक और पद का दुरुपयोग कर रहे हैं तथा सुपात्र उत्तराखंडी युवक युवतियों का हक छीन रहे हैं। क्या इसीलिए देवभूमि की देवतुल्य जनता ने सर आंखों बिठाया।
मजे की बात तो यहां यह भी है जो माननीय वर्तमान युवा मुख्यमंत्री को नजीर बनेगी की बात कह कर उनकी शान में चार चांद लगा रहे हैं वे स्वयं भी अपने इस भाई भतीजावाद और रेवड़ियां बांटने के आरोप से बचते नजर नहीं आ रहे हैं।
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त हुई सूची में प्रथम दृष्टया जिन जिन माननीयों के नाम प्रकाश में आ रहे हैं उनमें उत्तराखंड के पहले अंतरिम मुख्यमंत्री स्वर्गीय नित्यानंद स्वामी व स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी, पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे स्वर्गीय प्रकाश पन्त सहित पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, डा.रमेश पोखरियाल निशंक एवं वर्तमान युवा मुख्यमंत्री धामी का नाम उजागर हुआ है। यही नहीं केन्द्र सरकार में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट व राज्य सभा सांसद नरेश बंसल एवं भूतपूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं कैबिनेट मंत्री रही स्वर्गीय इन्दिरा हृदयेश व विधानसभा अध्यक्ष रहे मौजूदा कैबिनेट मंत्री प्रेम चन्द अग्रवाल, कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल सहित देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा भी अपनी पत्नी की विधानसभा में नौकरी दिलाने में संलिप्त नजर आ रहे हैं। विधायक मुन्ना सिंह चौहान, शूरवीर सिंह सजवाण, पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे दिवाकर भट्ट, काशी सिंह ऐरी, विशन सिंह चुम्फाल आदि महान हस्तियां हैं।इस लिस्ट में आरएसएस (संघ) के कुछ पदाधिकारियों का भी नाम अवलोकित हो रहा है।
यही नहीं भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री रहे मदन कौशिक सहित वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट का भी नाम साफ दिखाई पड़ रहा है।
ज्ञात हो कि जो दो सूचियां 29 -29 लोगों की प्रकाशित की जा रही हैं वह उन 58 कैंडीडेट्स की हैं जिनकीऋ नियुक्ति विधानसभा में अपने पदों की हनक व प्रभाव में इन माननीयों के द्वारा कराई गयीं हैं और उनके उनसे क्या रिश्ते हैं। ये सूची हमारी तहकीकात है जिसकी सच्चाई व पुष्टि तो निष्पक्ष जांच में खुद वखुद सामने आयेगी!
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोबिंद सिंह कुंजवाल और कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या का नाम तो पहले से ही मीडिया की सुर्खियों में चल रहा है।
देखना यहां ग़ौरतलब होगा कि ये माननीय सैद्धांततिकता के आधार पर पहले अपने अपने पदों से इस्तीफा देंगे या फिर ऐनकेन प्रकरेण कुर्सी से चिपके रहते हुये भाषणबाजी करते हुये जांच व कार्यवाही को प्रभावित करते हुये उसने भी तो ऐसा किया और इसने भी ऐसा ही किया करते हुवे बड़ा चोर, छोटा चोर की बात करते हुवे अपनी चादर को उसकी चादर से अधिक उजला बताते दिखाई पड़ेंगे? या फिर पर उपदेश कुशल बहुतेरे की कहावत को चरितार्थ करते हुये प्रधानमंत्री मोदी की आजादी का अमृत महोत्सव स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले से भ्रष्टाचार पर भरी गयी हुंकार को उन्हीं की डबल इंजन वाली उत्तराखंड की सरकार निष्फल करने में लगी रहेगी!
स्वयं ही देख लीजिए सूची में किस विधानसभा कर्मचारी व अधिकारी को किस माननीय के साथ रिश्ते के बलबूते नौकरी मिली …..
ज्ञृ