नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पर्यटक नगरी नैनीताल से सटे पंगोट आरक्षित वन क्षेत्र में बिल्डर द्वारा आरक्षित वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनायी जा रही सड़क के मामले को गंभीरता से लेते हुए निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। साथ ही इस मामले में वन विभाग और नैनीताल के जिलाधिकारी से जवाब देने को कहा है।
इस मामले को पंगोट के बुधलाकोट गांव के ग्राम प्रधान की ओर से एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि गांव में आने जाने के लिए 2013 में वन विभाग की अनुमति से पैदल रास्ता का निर्माण किया गया। इसी दौरान गाँव में बिल्डर उपेन्द्र जिदंल ने पर्यटन विभाग में तैनात अतिरिक्त निदेशक पूनम चंद से भूमि खरीद ली और चार मंजिला होटल का निर्माण कर लिया।
अब बिल्डर की ओर से होटल में पर्यटकों के आने जाने के लिए पैदल रास्ते को सड़क मार्ग में तब्दील किया जा रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी आरोप लगाया गया कि अतिरिक्त निदेशक पूनम चंद बिल्डर की इस मामले में सरकारी स्तर पर हरसंभव मदद कर रही है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि यह क्षेत्र नैनीताल के आरक्षित वन क्षेत्र में मौजूद नैना देवी पक्षी वन विहार का हिस्सा है और आरोपी बिल्डर द्वारा आरक्षित भूमि की महत्वपूर्ण भूमि को नष्ट किया जा रहा है। इस मामले में अगले सुनवाई 15 फरवरी 2023 को मुकर्रर की गयी है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डाॅ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि अदालत ने आरोपी बिल्डर और अतिरिक्त निदेशक पूनम चंद को भी नोटिस जारी किया है और वन विभाग को इस मामले में जवाब देने को कहा है। उन्होंने कहा कि अदालत ने आरक्षित वन क्षेत्र में जेसीबी मशीन के उपयोग पर भी रोक लगा दी है।