नैनीताल। भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी एवं कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के कालागढ़ वन प्रभाग के निलंबित तत्कालीन उप वन संरक्षक किशन चंद्र के खिलाफ सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) की जांच के मामले सरकार की ओर से कहा गया कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं और अभी जांच जारी है।
चंद्र की ओर से निलंबन आदेश एवं विजिलेंस जांच को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से उनके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि उन पर लगाये गये आरोप बेबुनियाद हैं। उन्होंने किसी प्रकार का कोई भ्रष्टाचार या अनियमितता नहीं की है। विभागीय अनुमति के बाद ही पाखरों व मोरघट्टी में निर्माण कार्य कराये गये हैं।
विजिलेंस अधीक्षक पीएन मीणा की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया कि आरोपी के खिलाफ अनियमिता के मामले में पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। जांच अभी जारी है। याचिकाकर्ता की ओर से अगली तिथि तक गिरफ्तारी से संरक्षण देने की मांग की गयी लेकिन सरकार की ओर से इसका विरोध किया गया।
गौरतरबल है कि निलंबित अधिकारी पर कार्बेट पार्क के कालागढ़ रेंज में तैनाती के दौरान मोरघट्टी और पाखरो में अवैध तरीके से निर्माण कार्य कराने और पेड़ों का अवैध पातन का आरोप है। राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण (एनसीटीए) और उच्च न्यायालय के आदेश पर की गयी प्रारंभिक जांच में भी इसकी पुष्टि हुई है।
उच्च न्यायालय की सख्ती के बाद सरकार हरकत में आयी और उसने श्री चंद्र को निलंबित कर दिया। साथ ही पूरे प्रकरण की जांच सतर्कता विभाग को सौंप दी। सतर्कता विभाग की ओर से पिछले महीने 08 अगस्त को आरोपी के खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम, 1980, भारतीय वन अधिनियम व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम जैसी गंभीर धाराओं में अभियोग पंजीकृत जांच शुरू कर दी गयी थी। आरोपी चंद्र कुछ समय पहले सेवानिवृत्त हुए हैं।