नैनीताल। उत्तराखंड के रामनगर में मानसिक और शारीरिक रूप से दिव्यांग बच्चों के उत्पीड़न के मामले में सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने प्रदेश के गृह सचिव को निर्देश दिये कि किशोर न्याय अधिनियम (जुवेनाइल जस्टिस एक्ट) को लेकर जारी केन्द्र सरकार की विशेष मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का सख्ती से पालन करवायें। साथ ही ऐसे मामलों में पुलिस को भी सख्त धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ ने रोशनी सोसाइटी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद शुक्रवार को ये निर्देश जारी किये। अदालत में आज नैनीताल के एसएसपी पंकज भट्ट और रामनगर के कोतवाल व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। साथ ही अदालत की ओर से गठित कमेटी की ओर से रामनगर के जेसीआर आवासीय विद्यालय में दिव्यांग बच्चों के तथाकथित उत्पीड़न के मामले में रिपोर्ट पेश की गयी।
रिपोर्ट में स्कूल की व्यवस्थाओं को लेकर अदालत ने संतोष व्यक्त किया गया। अदालत ने दिव्यांग बच्चे के गुमशुदगी के संबंध में एसएसपी भट्ट से सवाल जवाब किये और पूछा कि इस मामले में रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज की गयी। श्री भट्ट ने अदालत को बताया कि रिपोर्ट दर्ज कर ली गयी। अदालत ने इस मामले में पुलिस की रवैये पर गंभीर रूख अख्तियार करते हुए प्रदेश के गृह सचिव को निर्देश दिये कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का प्रदेश में सख्ती से पालन कराया जाये।
अदालत ने बाल कल्याण समिति को भी निर्देश दिये कि विद्यालय में दिव्यांग बच्चों के कल्याण के लिये उचित कदम उठायें। साथ ही पुलिस को निर्देश दिये कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के मामलों को बेहद गंभीरता से लें और सख्त धाराओं में अभियोग पंजीकृत करें।
गौरतलब है कि रोशनी सोसाइटी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने गुरुवार को रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल की अगुवाई में एक टीम का गठन कर स्कूल का मुआयना कर चौबीस घंटे में रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा था। इस मामले में अगली सुनवाई 07 नवम्बर को मुकर्रर की गयी है।