नागपुर। महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में किसानों के आत्महत्या करने का मामला खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है जहां तीन दिन के भीतर नौ किसानों ने कथित रूप से अपनी जान दी है।
वित्तीय परेशानी के कारण आत्महत्या करने वाले किसानों की विधवाओं के काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन ‘विदर्भ जन आंदोलन समिति’ (वीजेएस) ने गुरुवार को यहां बताया कि पिछले तीन दिनों में नौ किसानों ने कथित तौर पर आत्महत्या की है।
वीजेएस ने कहा कि क्षेत्र में लगातार बारिश और उसके बाद आई बाढ़ से फसल को भारी नुकसान हुआ है। अब किसानों के पास अगली फसल की बुवाई के लिए भी पैसे नहीं हैं। स्थिति यह है कि किसान परिवारों के लिए रोजी-रोटी का इंतजाम भी मुश्किल हो गया है। नतीजतन, किसान अतिवादी कदम उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में जिन किसानों ने आत्महत्या की उनकी पहचान गणेश अडे (40), लता चहुले (55), स्वप्निल पचभाई (32), बृजेश हदे (33), शंकर डंके (70), सागर ढोले (33), सतीश मोहोद ( 34), मंगेश सतखेड़े (42), भास्कर पारधी (40) के रूप में हुई है।
उन्होंने कहा कि इन किसानों में पांच यवतमाल जिले से है विदर्भ का यह जिला बारिश से सबसे अधिक प्रभावित है।
सूत्रों ने बताया कि चार किसानों ने कथित तौर पर फांसी लगाकर, जबकि शेष पांच ने कथित तौर पर कीटनाशक खाकर आत्महत्या की है। उन्होंने बताया कि इनमें से अधिकतर किसान छोटी जमीन के मालिक थे।
विदर्भ के अकोला, अमरावती, यवतमाल, बुलढाणा, वाशिम और वर्धा जिले बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित हैं। लगातार हो रही बारिश से किसान परेशान हैं। उन्हें बैंकों और अन्य कर्जदाताओं से भी कोई राहत नहीं मिल रही है।
संगठन ने कहा कि रबी की फसल बुवाई के लिए सरकार को तुरंत किसानों को ऋण मुहैया करना चाहिए। इसके अलावा, किसानों के लिए वित्तीय सहायता और ऋण माफी की घोषणा की जानी चाहिए।