रुद्रप्रयाग/ देहरादून। उत्तराखंड के केदारनाथ स्थित गरूड़चट्टी-देवदर्शनी में मंगलवार को हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना की घटना पिछले 12 वर्षों के दौरान दूसरी सबसे बड़ी घटना थी।
इससे पूर्व 25 जून 2013 को राहत व बचाव कार्य में लगा सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर जंगलचट्टी की पहाड़ी पर टकराने से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस हादसे में सेना के 20 अधिकारी व जवान शहीद हो गए थे। कई दिनों की खोज के बाद शव मिल पाए थे।
समु्द्रतल से 11750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ में वर्ष 2010 यात्राकाल में हेलीकॉप्टर क्रैश होने की पहली दुर्घटना हुई थी। इस हादसे में हेलीकॉप्टर के पंखे की चपेट में आने से एक युवक की दर्दनाक मौत हो गई थी।
इसके बाद 16/17 जून 2013 की आपदा के बाद राहत व बचाव कार्य में लगा एक निजी कंपनी का हेलीकॉप्टर 21 जून को जंगलचट्टी के समीप दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में पायलट की मौत हो गई थी।
गत 24 जून 2013 को केदारनाथ से गुप्तकाशी लौट रहा एक और हेलीकॉप्टर भी क्रैश हुआ था। इस हादसे में पायलट व इंजीनियर की मौत हो गई थी जबकि 25 जून 2013 को शाम के समय केदारनाथ से वापस लौट रहा सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर भी जंगलचट्टी की दुर्गम पहाड़ियों को भेदने में असफल रहा। पहाड़ी पर टकराने से एमआई-17 दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें सवार सेना के सभी 20 अधिकारी व जवान शहीद हो गए थे। इस बड़ी दुर्घटना का कारण अचानक पहाड़ी क्षेत्र में छाया घना कोहरा बताया गया था।
वर्ष 2016 में केदारनाथ से गुप्तकाशी के लिए टेकऑफ करते समय एक हेलीकॉप्टर का अचानक दरवाजा खुल गया था। गनीमत थी कि सवार सभी यात्री सुरक्षित निकाल गए थे।
तीन अप्रैल 2018 में निर्माण सामग्री ले जा रहा एक निजी एमआई-17 हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था। इस हादसे में हेलीकॉप्टर दो हिस्सों में टूट गया था, जिसमें आग लग गई थी। इसके बाद 18 मई को केदारनाथ हेलीपैड पर टेकऑफ के दौरान हेलीकॉप्टर के टायर रपट गए थे।
मई 2019 यात्राकाल में केदारनाथ में टेकऑफ के दौरान एक हेलीकॉप्टर में तकनीकी खराबी आ गई थी। इसी वर्ष 31 मई को लैंडिंग के समय केदारनाथ हेलीपैड पर एक हेलीकॉप्टर का पिछला हिस्सा टकरा गया था।
वहीं, मंगलवार 18 अक्तूबर को केदारनाथ से मस्ता आ रहा हेलीकॉप्टर खराब मौसम के चलते दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें पायलट सहित सात लोगों की मौत हो गई।