पुलिस आफिस से दिन दहाड़े चोरी, चार दिन बीत जाने पर भी नहीं हुई दर्ज रिपोर्ट
सीसीटीवी फुटेज के बाद भी बरामदगी नहीं
…क्योंकि चोरी की घटना को अंजाम देने वाला एक पुलिस कर्मी ?
महिला हेल्प लाईन दरोगा के समक्ष भी दिखा रहा था दादागीरी!
देहरादून। यूं तो रोजाना बड़े कप्तान साहब के लापरवाह पुलिस कर्मियों और दरोगाओं पर जब तब एक्शन देखने को मिलते हैं परन्त पुलिस में इन एक्शनों का कितना भय या सुधार है और इसकी हकीकत क्या है उसका एक बड़ा ही रोचक व शानदार मामला प्रकाश में आया है।
यह वाहन चोरी और दादागीरी का रोचक मामला इस लिए है क्योंकि इस प्रकरण में मोटर साइकिल चोरी करने या कराने वाला कोई और नहीं बल्कि एक पुलिस कर्मी ही बताया गया है। उक्त नामजद आरोपी पुलिस महिला हेल्पलाइन की महिला दरोगा के सामने भी कानून को ठेंगे पर रखते हुये एक अकेले व्यक्ति (अपनी बहन के पति) पर दादागीरी दिखाता रहा था और महिला हेल्पलाइन की पुलिस तमाशबीन बनी रही। यही नही उक्त कानून से वेखौफ तथाकथित पुलिस दरोगा बड़ी दबंगई से दिन दहाड़े दून में कचहरी के निकट स्थित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बाहर खड़ी अर्पित वाथम की निजी मोटर साईकिल को अपने परिजनों के साथ मिलकर मेटाडोर पर खुले आम उठाकर ले जाता है और दून की मित्र पुलिस उक्त मामले की चार दिनों तक कार्यवाही करना तो दूर एफआईआर भी दर्ज नहीं करती। जबकि डीजीपी से लेकर कप्तान तक अक्सर चेतावनी देते नजर आते हैं कि थाने-चौकी अपराधों को न छिपा तत्काल मुकदमा कायम कर कार्यवाही करें! बताया जा रहा है कि उक्त नामजद पुलिसकर्मी अनुज चौधरी उत्तरकाशी में तैनात हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दून में नौकरी कर रहे अर्पित वाथम को विगत 11नवम्बर को दून महिला हेल्पलाइन ने फिर एक विचाराधीन प्रकरण में बुलाया और उसकी पीताम्बर पुर (बनियावाला) निवासी पत्नी भी अपने परिजनों (मां, बहिन, भाई) के साथ आई हुई थी। उक्त मामले में हेल्पलाइन के समक्ष पति-पत्नी दोनों में लिखित सुलह समझौता भी हो गया तथा पत्नी अपने पति अर्पित वाथम के साथ सुसराल लखीमपुर खीरी जाने को भी तैयार हो गई। परन्तु पति-पत्नी का उक्त समझौता पुलिसिया रौब में मस्त पत्नी के भाई को “तू कौन खामखां” की कहावत को चरितार्थ करते हुये रास नहीं आया और उसने वहीं पुलिस महिला हेल्पलाइन के सामने ही पति अर्पित वाथम से झगड़ा करना शुरू कर दिया यही नहीं पत्नी की बड़ी बहन और मां भी समझौते के पक्ष में नहीं थे, वे भी झगड़े पर आमादा नजर आये तथा हेल्प लाइन बजाए इसके कि कानून तोड़ने वालों के विरुद्ध कोई एक्शन लेती, चुपचाप तमाशा देखती रही और अर्पित को यह कह कर आफिस के पीछे वाले गेट से चले जाने को कह दिया कि कुछ देर पश्चात आकर अपनी मोटरसाइकिल ले जाना।
ज्ञात हो कि आधा-पौन घंटे बाद परेशान अर्पित अपनी मोटर साइकिल लेने गया तो वहां से उसकी मोटरसाइकिल गायब मिली। मोटरसाइकिल UK07BP 6396 चोरी हो जाने की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए हेल्पलाइन ने धारा चौकी भेज दिया। धारा चौकी पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी कैमरों से फुटेज भी निकाल ली जिसमें एक लोडर में मोटरसाइकिल लेजाते हुये देखा गया। चूंकि मामला एक पुलिसकर्मी से सम्बंधित निकला इसलिए धारा चौकी पुलिस ने भी चुप्पी साध ली और बिना एफआईआर दर्ज किए ही पीड़ित को भगा दिया।
उल्लेखनीय है कि कोतवाली पुलिस द्वारा उक्त दिनदहाड़े पुलिस आफिस के बाहर से चोरी के मामले को अपराध का ग्राफ न बढ़े इस लिए अब तक दर्ज नहीं किया गया और न ही कोई कार्यवाही नामजद आरोपियों के विरुद्ध की गयी तथा न ही मोटरसाइकिल की बरामदगी की गयी।
यहां अगर पीड़ित अर्पित की मानें तो उसकी पत्नी का उक्त पुलिस कर्मी भाई की बजह से ही अभी तक पुलिस का व्यवहार उसके साथ पक्षपात पूर्ण रहा है इससे पूर्व बसंत विहार पुलिस भी पक्षपातपूर्ण कार्यवाही करती रही थी।
देखना यहां गौरतलब होगा कि जनता में चैन व अमन के लिए दिन रात ताबड़तोड़ एक्शन में रहने वाले बड़े कप्तान साहब इस प्रकरण को किस तरह अपने एक्शन में लाते हैं तथा कानून को ठेंगे पर रखने वाले उस मोटरसाइकिल चोर पुलिसकर्मी व उसको बचाने वालों पर क्या एक्शन लेते हैं और सबक सिखाते हैं? यही नहीं अपराध को छिपाने व संरक्षण देने के लिए चार दिनों तक एफआईआर न दर्ज किये जाने वालों पर क्या कार्यवाही होती है?