नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के संस्कृत महाविद्यालयों में साप्ताहिक अवकाश रविवार के बजाय अन्य दिनों में किये जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार समेत अन्य पक्षकारों से चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में हुई। मामले को गोपेश्वर (चमोली) की पर्वतीय शिल्पकार सभा के अध्यक्ष गिरीश लाल आर्य की ओर से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदेश में संस्कृत के 12 महाविद्यालय व विद्यालय मौजूद हैं। इनमें से तीन विद्यालयों को छोड़कर शेष सभी में रविवार के बजाय साप्ताहिक अवकाश तृतीया या अष्टमी को होता है। ये विद्यालय साप्ताहिक अवकाश के लिए भी पंचांग को आधार बनाते हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। रविवार को अवकाश नहीं होने से इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिभाग करने से वंचित हो जाते हैं। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि अष्टमी पंचांग के आधार पर सप्ताह में एक दिन या दो दिन भी आ सकती है। मामले को सुनने के बाद अदालत ने राज्य सरकार, संस्कृत शिक्षा निदेशालय समेत अन्य पक्षकारों से 18 अप्रैल, 2023 तक जवाब पेश करने को कहा है।