मैनपुरी। देश के प्रतिष्ठित राजनीतिक घरानो में एक ‘यादव परिवार’ और समाजवादी पार्टी (सपा) समर्थकों के लिये गुरूवार का दिन दोहरी खुशी लेकर आया जब मैनपुरी में ‘बहू’ डिंपल यादव को मिली बंपर जीत के साथ चाचा शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) का विलय भतीजे अखिलेश यादव की अध्यक्षता वाली सपा में हो गया।
सपा प्रत्याशी डिंपल यादव ने अपने ससुर और पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण रिक्त हुयी मैनपुरी सीट पर अपने निकटतम प्रतिद्धंदी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य को दो लाख 88 हजार 461 मतों से हराया। डिंपल की इस ऐतिहासिक जीत में उनके चचिया ससुर और प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल की भूमिका महत्वपूर्ण रही वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी परिवार की प्रतिष्ठा का सवाल बनी इस सीट पर जीत के लिये जम कर पसीना बहाया। डिंपल को इस उपचुनाव में छह लाख 18 हजार 120 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्धंदी को तीन लाख 29 हजार 659 मत हासिल हुये।
जीत की सुगंध मिलते ही शिवपाल अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव की समाधि स्थल पर गये और उनके चित्र पर पुष्पाजंलि अर्पित की। शिवपाल के साथ उनके पुत्र आदित्य यादव भी थे। बाद में पिता पुत्र अपने गृहनगर सैफई स्थित एसएन मेमोरियल स्कूल की ओर रवाना हो गये। बाद में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव चाचा शिवपाल से मिलने एसएन स्कूल पहुंचे और उन्हे सपा का झंडा भेंट किया जिसे शिवपाल की कार में लगा दिया गया। इसके साथ ही प्रसपा के सपा में विलय का संकेत समाजवादियों को मिल गया और वहां उपस्थित समर्थकों ने ‘जिसका जलवा कायम है,उसका नाम मुलायम है’, का गगनभेदी नारा लगाया।
बाद में शिवपाल ने पत्रकारों से कहा कि अब उनकी पार्टी का विलय सपा में हो चुका है और कार्यकर्ता पूरी शिद्दत से 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटेंगे। उनका लक्ष्य नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के समाजवाद के सपने का साकार करने का है।
गौरतलब है कि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद शिवपाल और अखिलेश के बीच की दूरियों में कमी दिखने लगी थी जबकि मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव से पहले अखिलेश और डिंपल चाचा शिवपाल से मिलने उनके घर गये थे जिसके बाद शिवपाल ने खुले मंच से बहू डिंपल के पक्ष में समाजवादियों की एकता का आवाहन किया था। शिवपाल की परंपरागत विधानसभा सीट जसवंतनगर में डिंपल को एक लाख से अधिक रिकार्ड मत मिले हैं। इसका श्रेय भी शिवपाल की मेहनत काे जाता है। अखिलेश ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि चाचा शिवपाल को सपा में उचित सम्मान दिया जायेगा और आठ दिसम्बर के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) में उनकी भूमिका तय की जायेगी।