अवैध रूप से संचालित शैक्षिक संस्थानों पर कार्रवाई हेतु बाल आयोग की संस्तुति – Polkhol

अवैध रूप से संचालित शैक्षिक संस्थानों पर कार्रवाई हेतु बाल आयोग की संस्तुति

देहरादून। उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मंगलवार को आपात बैठक में राज्य, विशेषकर देहरादून में अवैध रूप से संचालित शिक्षण संस्थानों और डिफेंस अकादमियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही के लिए शासन एवं प्रशासन से कार्रवाई करने की संस्तुति की है।

आयोग अध्यक्ष डा. गीता खन्ना की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में बताया गया कि विगत माह में आयोग को प्राप्त निजी शिक्षण संस्थानों एवं कोचिंग सेन्टर के नाम से संचालित डिफेंस एकेडमियों के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों और पाये जाने वाली अनियमितताओं की जांच में शिक्षा के नाम पर बहुत बड़े घोटाले को उजागर होना पाया गया है। नियमों एव नई शिक्षा नीति की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। प्राईवेट स्कूलों द्वारा मानकों का किसी भी प्रकार से पालन नही किया जा रहा है।

बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कई स्कूलों की गहनता से जांच करवाई जाये। जिससे वर्तमान में लम्बे समय से देहरादून के विवादित प्रमुख स्कूलों राजा राममोहन राय पब्लिक स्कूल, डीपीएसजी सेलाकुई, ल्यूसेंट इण्टरनेशनल स्कूल की गलत नीतियों के कारण भावी पीढी का भविष्य अंधकार में जा रहा है।

आयोग अध्यक्ष ने कहा कि मनमानी फीस वृद्धि अन्य गतिविधियों के नाम पर अभिभावकों का शोषण बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित करना आदि संज्ञान में आया है। उन्होंने कहा कि आयोग ने शासन को प्रेषित पत्र में यह भी अवगत कराया गया है कि इस प्रकार से संचालित डिफेंस ऐकेडमियों के नाम पर चलने वाले प्रतिष्ठानों की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिये।

बाल आयोग ने गम्भीर चिन्ता व्यक्त करते हुए अल्पसंख्यक धर्म के आधार पर चल रहे विद्यालयों की निष्पक्ष जांच कराने की भी सरकार से संस्तुति की है। बताया गया कि विद्यालय मदरसे के रूप में वित्तीय अंशदान का लाभ लेकर सरकार द्वारा मिलने वाले सरकारी धन का खुलेआम दुरूपयोग कर रहे है एवं बच्चों का शोषण किया जा रहा है। आयोग के अनुसार, बच्चों के अभिभावकों से मोटा शुल्क भी वसुला जा रहा है। जिसका उदाहरण रहमानिया विद्यालय मंगलोर, भगवानपुर (हरिद्वार) में तीसरी कक्षा में पढ़ रहे छात्र की मौत सबसे बड़ा उदाहरण है।

आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि कई अल्पसंख्यक विद्यालयों में सरकार द्वारा इस प्रकार से निरंकुश शिक्षा प्रणाली पर बड़ा निर्णय लेने की आवश्यकता है। चिल्ड्रन होम भोगपुर में शिक्षण संस्थानों के नाम पर धर्मातरण किया जा रहा है। धर्मातरण जैसे महत्तवपूर्ण विषय पर सरकार द्वारा लिया गया एतिहासिक निर्णय की सकारात्मकता तभी सिद्ध होगे जब प्रारम्भिक शिक्षा पर गम्भरिता से ध्यान दिया जायेगा।

आयोग ने प्राप्त शिकायतों में मुख्यतः यह पाया गया है कि ऐसी शिक्षण संस्थानों को शिक्षा विभाग द्वारा बिना किसी जांच पडताल व बिना अभिलेखों के निरीक्षण और परीक्षण करे, अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया जाता है। जिसका खामियाजा प्रदेश के नौनिहालों व अभिभाषकों को भुगतना पड़ता है। आयोग द्वारा मुख्य शिक्षा अधिकारी को भी लिखे पत्र में इस बात पर विशेष कार्यवाही हेतु कहा गया कि शिक्षा विभाग, पुलिस विभाग एवं उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर इस प्रकार के सभी विद्यालयों की सम्पत्ति जमीन का प्रयोजन किस हेतु तथा मान्यता सम्बन्धी सभी अभिलेखों का नियंत्रण उत्तराखंड सरकार द्वारा रखा जाये।

बाल आयोग द्वारा पत्र के माध्यम से शासन से आग्रह किया गया कि उत्तराखंड बाल अधिकार द्वारा उल्लेखित गम्भीर विषयों पर गहनता से विचार कर प्रदेश के नौनिहालों एवं देश के भविष्य हमारी वर्तमान पीढ़ी के भविष्य को देखते हुये निष्पक्ष कार्यवाही की अपेक्षा की गई हैं।

बैठक में आयोग के सदस्य विनोद कपरवाण, दीपक गुलाटी, परिष्ठ सहायक नितिन राणा, कनिष्ठ सहायक शान्ति भट्ट, वैयक्तिक सहायक विशाल चाचरा आदि उपस्थित रहे।

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