देहरादून। देवभूमि उत्तरांचल राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रुप में दि० 9 नवंबर 2000 को शपथ ग्रहण करने वाले नित्यानंद स्वामी अपनी सादगी, कर्तव्य निष्ठा और ईमानदारी के कारण विशिष्टता से जाने जाते हैं।
देवभूमि उत्तरांचल में ईमानदारी, निष्ठा से काम करने वाले, प्रथम मास से राज्य कर्मियों को वेतन प्रदान करवाने वाले,मात्र छः माह में ही राज्य को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा प्रदान करवाने वाले,मुख्यमंत्री पद की शपथ के बाद सरकारी आवास का त्याग कर अपने दो कमरों में ही रहने वाले नित्यानंद स्वामी ने देवभूमि उत्तरांचल की में मित्र पुलिस की अवधारणा को राज्य में धरातल पर उतारने का ऐतिहासिक कार्य किया।
मात्र ग्यारह माह बीस दिन के कार्यकाल में पर्वतीय क्षेत्रों से पेयजल, स्वास्थ्य और शिक्षा का कार्य प्रारंभ करने तथा 15 नये डिग्री कालेज तथा 50 से भी अधिक स्कूलों का उच्चीकरण का कार्य करने वाले सर्व सुलभ मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी का आज भी देवभूमि उत्तराखंड की जनता के हृदय में अमिट स्थान है।
ये और बात है भरसक प्रयासों के बावजूद देवभूमि उत्तराखंड राज्य में प्रथम मुख्यमंत्री स्व० नित्यानंद स्वामी जी की स्मृति में उनके नाम पर किसी शिक्षण संस्थान महाविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, पोलिटेकनिक केन्द्र,बड़ा संस्थान, सड़क ,चौक, आदमकद प्रतिमा, भव्य स्मारक आदि बनवाने में किसी सरकार की कोई रूचि नहीं दिखाई दी। शायद अपने पूर्वजों को सम्मान या स्मरण करने की परम्पराओं में अब परिवर्तन की प्रथा प्रारम्भ हो गयी है।
देवभूमि उत्तराखंड राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री ईमानदारी, निष्ठावान समर्पित समाजसेवी, प्रख्यात विधि विशेषज्ञ सर्व सुलभ नित्यानंद स्वामी को शासन प्रशासन द्वारा यूं भूला पाना किसी भी प्रकार से राज्य वासियों के गले नहीं उतरता। किसी भी प्रकार की प्रगति सही मायने में वह प्रगति नहीं होती जो अपनी विरासत को ही भूला दे। नित्यानंद स्वामी की अंतिम सांस तक उनके साथ सेवारत रहे उनके विशेष कार्याधिकारी योगेश अग्रवाल ने दुखित मन से उक्त उद्गार मीडिया के माध्यम से सर्वसमाज के समक्ष प्रस्तुत किये।