देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन धरना 10वें दिन भी जारी रहा। इस दौरान उत्तराखंड सांस्कृतिक मंच के कलाकारों द्वारा धरने को समर्थन दिया गया। समर्थन दे रहे कलाकारों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष के भेदभाव पूर्ण रवैया को गलत ठहराया गया| उन्होंने कहा कि नियुक्ति यदि राज्य गठन से एक ही प्रक्रिया द्वारा की गई है तो सभी कर्मचारियों पर एक जैसी ही कार्यवाही होनी चाहिए।
कार्मिकों ने विधानसभा से बर्खास्त होने के बाद अब आ रही अपनी समस्याओं के बारे में बताया कि सभी के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है, वर्ष 2016 में नियुक्त कर्मचारियों की सात साल की सेवाओं को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा एक झटके में समाप्त कर दिया गया| सभी कर्मचारी उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों से आते हैं देहरादून में किराए के मकान लेकर अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं, अपने बुजुर्ग माता-पिता की देख-रेख कर रहे हैं। सात साल तक लगातार अपनी सेवाएं देने के बाद कई कर्मचारी अब ओवर ऐज हो चुके हैं जिससे किसी अन्य परीक्षा में बैठने योग्य भी नहीं हैं। कई कर्मचारी दिव्यांग व कई महिलाएं विधवा हैं किसी तरह अपने बच्चों का लालन-पालन कर रही हैं, सात साल तक सेवाएं देने के बाद दर्जनों कर्मचारियों ने लोन लेकर कहीं मकान बना लिया है, कहीं जमीन खरीद ली है और अब उनके सामने बैंक के लोन की किश्तें देने के भी समस्या आ पड़ी हैं। अनशन पर बैठे बर्खास्त कर्मचारियों ने विधानसभा अध्यक्ष से उन्हें बहाल करने की गुहार लगाई है साथ ही न्याय करने की बात कही है।
इस अवसर पर उत्तराखंड सांस्कृतिक मंच के सुरेंद्र सिंह राणा, बच्चन सिंह राणा, अंकित सेमवाल, कुंदन चौहान, जितेंद्र बलूनी, बलवंत सिंह, सोनू सिंह सहित ललित मोहन कांडपाल, सुंदर सिंह, कुशाल सिंह, ओमप्रकाश, कपिल धोनी, शिवचरण डबराल, वीरेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह, किशन राम, मोहन गढ़िया, सोनम, पूनम अधिकारी, भगवती साहनी सहित अन्य कार्मिक मौजूद रहे|