नैनीताल। नोबेल पुरस्कार प्राप्त व मशहूर साहित्यकार रवीन्द्र नाथ टैगोर की कर्मस्थली उत्तराखंड के रामगढ़ में विश्वभारती केन्द्रीय विश्वविद्यालय परिसर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार की ओर से 44.46 एकड़ भूमि विवि के नाम हस्तांतरित कर दी गयी है।
यह जानकारी शांतिनिकेतन ट्रस्ट फार हिमालय के सदस्य सचिव प्रो. अतुल जोशी ने दी। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से भूमि हस्तांतरण संबंधी जानकारी दी गयी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकारी की ओर से इस मामले में पहले ही शासनादेश जारी कर दिया गया था लेकिन उद्यान विभाग की भूमि विश्वविद्यालय के नाम पर हस्तांतरित नहीं हो पायी थी।
अब भूमि विवि के नाम पर पूरी तरह से दर्ज हो गयी है। इससे विवि के परिसर का निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। उन्होंने कहा कि विवि के परिसर के निर्माण के लिये 150 करोड़ का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जा चुका है लेकिन भूमि के हस्तांतरण नहीं हो पाने से धन स्वीकृत नहीं हो पाया।
उन्होंने कहा कि अब रामगढ़ परिसर में पठन पाठन व शोध कार्य जल्द शुरू हो सकेगा। विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि विवि रामगढ़ परिसर में जल्द ही कुछ पाठ्यक्रमों का पठनपाठन प्रारंभ करेंगे।
गौरतलब है कि नैनीताल के रामगढ़ स्थित टैगोर टॉप गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कर्मस्थली रही है। बताया जाता है कि गुरुदेव वर्ष 1903, 1914 एवं 1937 में यहां पधारे और अपने जीवन का काफी समय यहां व्यतीत किया। इस अवधि में गुरुदेव ने रामगढ़ में अपने चर्चित कविता संग्रह ‘शिशु’ के अलावा ‘गीतांजलि’ के भी कुछ अंशकी रचना की जिसके लिए उन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार भी मिला।
यही वजह है कि सरकार ने यहां पर बनने वाले विश्व भारती विश्वविद्यालय के नए परिसर का नाम ‘गीतांजलि’ रखने का फैसला किया है। मुख्यमत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं गुरुदेव के 161वें जन्मदिवस के अवसर पर विश्व भारती के नए परिसर का भूमि पूजन किया था।