नैनीताल। कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के कालागढ़ वन प्रभाग में भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप में जेल में बंद तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी किशन चंद को उत्तराखंड उच्च न्यायालय से अल्पावधि (शार्ट टर्म) जमानत नहीं मिल पायी है। उच्च न्यायालय ने जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है।
चंद पर कार्बेट पार्क के कालागढ़ वन प्रभाग के पाखरो और मोरघटटी में अवैध निर्माण के साथ ही पेड़ों के अवैध पातन का आरोप है।आरोप है कि बिना विभागीय अनुमति के निर्माण कार्य किये गये और पेड़ों का अवैध पातन किया गया।
विभागीय जांच में इसकी पुष्टि होने पर आरोपी को निलंबित कर दिया गया। साथ ही,शासन ने इस प्रकरण की जांच सतर्कता (विजिलेंस) विभाग को सौंप दी। विजिलेंस की ओर से श्री चंद समेत छह से अधिक लोगों के खिलाफ हल्द्वानी में मामला पंजीकृत कर लिया गया था।
मामला पंजीकृत होने के साथ ही आरोपी फरार हो गया। आरोपी कई दिनों तक विजिलेंस की पकड़ से बाहर रहा।आखिरकार उसे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। श्री चंद की ओर से आज उच्च न्यायालय में अल्पावधि जमानत प्रार्थना पत्र पेश किया गया।
न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की पीठ में प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई।आरोपी की ओर से कहा गया कि वह गंभीर रूप से बीमार है और उसे उपचार के लिये अल्पावधि जमानत प्रदान की जाये। सरकार की ओर से कहा गया कि आरोपी का जमानत प्रार्थना पत्र निचली अदालत में लंबित है। उस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है।
दो-दो जगह जमानत प्रार्थना पत्र पेश किया जाना गलत है। अदालत ने भी इसे गलत करार दिया और प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। इससे पहले भी गिरफ्तारी से बचने और उसके खिलाफ दर्ज अभियोग को खारिज करने के लिये आरोपी उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुका है लेकिन आरोपी को कोई राहत नहीं मिल पायी है।