देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ के कुछ इलाकों के भवनों में आई दरारों की चौड़ाई में पिछले तीन दिनों से कोई बड़ोतरी नहीं हुई है।
यहां प्रभावित भवनों में सीबीआरआई द्वारा भवनों की दरारों को नापने के लिए लगाये गये क्रेकोमीटर से इस स्थिति का पता चला है। राज्य के सचिव(आपदा प्रबन्धन) रंजीत कुमार सिन्हा ने गुरुवार को संवाददाताओं यह जानकारी। डाॅ. कुमार ने वहां हो रहे भू-धंसाव और भूस्खलन के उपरान्त, राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे राहत एवं बचाव, स्थायी/अस्थायी पुनर्वास आदि से सम्बन्धित कार्यों के बारे में पत्रकारों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह एक सकारात्मक सकेंत है।
डाॅ .सिन्हा ने कहा,“ आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव वित्त, शहरी विकास, सचिव आपदा प्रबन्धन के साथ जोशीमठ में चल रहे राहत कार्यों के सम्बन्ध में बैठक की। राज्य सरकार तथा भारत सरकार के विभिन्न तकनीकी संस्थानों द्वारा किये गये कार्यों की अद्यतन स्थिति से मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया। मुख्यमंत्री ने जोशीमठ में आपदा प्रबन्धन के कार्यों में पूरी मुस्तैदी से कार्य करने के निर्देश दिए हैं।” उन्होंने कहा कि जोशीमठ में आपदा प्रबन्धन के कार्यों में किसी भी प्रकार की धन की कमी नहीं आने दी जाएगी।
सचिव ने बताया कि उक्त बैठक में शहरी विकास विभाग को प्रत्येक जिले में प्रभावी अर्बन टाउन प्लानिंग की तैयारी के निर्देश दिए गये हैं। पर्वतीय नगरों में डै्रनेज एव सीवर सिस्टम की प्रभावी व्यवस्था के लिए भी निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि चमोली जिला प्रशासन द्वारा जोशीमठ में मुस्तैदी से सर्वेक्षण का कार्य किया जा रहा है। जिला प्रशासन विस्थापितों से विचार-विमर्श भी कर रहा है।
उन्होंने कहा,“ जोशीमठ में पानी का डिस्चार्ज 150 एल.पी.एम है। अस्थायी रूप से चिन्हित राहत शिविरों में जोशीमठ में कुल 615 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2190 लोगों की है तथा पीपलकोटी में 491 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। अभी तक 849 भवनों में दरारें दृष्टिगत हुई है। सर्वेक्षण का कार्य गतिमान है। गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 क्षेत्र / वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 259 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये हैं। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 867 है।”
इस दौरान, अपर सचिव आपदा प्रबन्धन, निदेशक उत्तराखण्ड भूस्खलन प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण संस्थान, निदेशक वाडिया संस्थान, निदेशक आईआईआरएस देहरादून, निदेशक एनआईएच तथा निदेशक आईआईटीआर उपस्थित थे।