सवा पांच लाख रुद्राक्ष से बने महाकाल की यज्ञशाला में राष्ट्र रक्षा महायज्ञ – Polkhol

सवा पांच लाख रुद्राक्ष से बने महाकाल की यज्ञशाला में राष्ट्र रक्षा महायज्ञ

प्रयागराज।  तीर्थराज प्रयाग में संयम, संस्कार एवं संस्कृति के संवाहक माघ मेला में “राष्ट्रहित” महायज्ञ आरंभ किया गया।

यज्ञशाला में सवा पांच लाख रुद्राक्ष के मनकों से महाकाल का सवा पांच फुट ऊंचा शिवलिंग तैयार किया गया है। उसी के बगल में चार कुण्ड तैयार किए गए हैं जिसमें यज्ञ किया जाता है। विशाल यज्ञ वेदी में चार चरणों में एक हजार आठ त्रिशूल की स्थापना किया गया है। इसमें काले रंग के घेरा वाले त्रिशूल आतंक के विनाश, महामारी के नाश के लिए, पीला त्रिशूल शत्रु (देश पर किसी भी अक्रांता के पराजय की कामना से लगाए गए हैं, सफेद रंग के घेरे वाले त्रिशूल ज्ञान-विद्या की गंगा देश सतत बहती रहे, लाल रंग के त्रिशूल देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ बनाने के लिए है।

हिंदू धर्म में रूद्राक्ष का अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। रुद्राक्ष सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। सुरक्षा के लिए, ग्रह शांति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। रुद्राक्ष का लाभ अदभुत होता और प्रभाव अचूक होता है। रुद्राक्ष की विशेषताओं और महिमा का वर्णन शिवपुराण, लिंगपुराण, एवं सकन्द्पुराण आदि में प्रमुखता से किया गया है। यह हर तरह की समस्या को हरने की क्षमता रखता है।

जीवन रक्षक मंत्र महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष माला पर किए जाने से सकारात्मक लाभ मिलता है। सुरक्षा के लिए, ग्रह शांति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए इसका प्रयोग किया जाता रहा है। मेले में एक बाबा ऐसे भी पहुंचे हैं जिन्होंने नि:स्वार्थ भाव से राष्ट्र हितार्थ 1100 से अधिक माला धारण किए हैं।

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